Hanuman Chalisa
भजन हरि का करले अभिमानी
भजन हरि का करले अभिमानी।तेरी दो दिन की ज़िंदगानी।।मोह माया में ऐसा अटका,छोड़ के भव बंधन का खटका।नर तन का न लाभ उठाया।बीत
अब मंदिर बनने लगा है
अब मंदिर बनने लगा है,भगवा रंग चढ़ने लगा है,जब मंदिर बन जाएगा,सोच नजारा क्या होगा,बोल जयकारा जयकारा,बोल जयकारा,सियाराम के
म्हारा रुनिजारा राम
म्हारा रुनिजारा राम, म्हारा रुनिजारा राम।थारो बिगड़ी बणादे असो नाम।।कोढ़िन को काया दीन्हीं अंधे को आँख रे।गूँगे को बाचा
मेरे जागे हैं सोये भाग
अवध में भक्तों का मन बोले,हनुमंत की भक्ति को टटोले,चीर के सीना हनुमंत दिखाए,हृदय में राम सिया को बसाए।मेरे जागे हैं सोये
तेरे मन मंदिर में राम
कहाँ तू खोज रहा रे प्राणी , तेरे मन मन्दिर में राम l नहीं अवध नहिं गोकुल में प्रभु , नहीं द्वारका धाम l तेरे मन मन्दिर म
दुःख कौन हरे बिन तेरे
दुख कौन हरे बिन तेरे, रघुबीर कृपालू मेरे । जब से संसार में आया, ममता में रहा भुलाया, मद काम क्रोध सब घेरे । रघुबर कृपालू
राम नाम गुण गाये जा
रामनाम गुण गायेजा, श्यामनाम गुण गायेजा।सुमिरण करले ध्यान लागाले,जीवन सफल बनायेजा।।तेरा मेरा मेरा तेरा करके उमर गँवाई।लाख
वन को जब जाना भगवान
वन को जब जाना भगवान पहले हमें विदा कर जाना,मेरे टीके पर ओम लिखवाना,मेरी बिंदिया पर राम लिखवाना,फैंसी लिखत लिखो भगवान जैस
लंकापति रावण पिया चुराई तूने
लंकापति रावण पिया चुराई तूने हरि की सिया,हाय हाय तूने यह क्या किया चुराई तूने हरि की सिया,लंकापति रावण पिया चुराई....जिस
रावण दिल के तुम कितने कठोर निकले
रावण दिल के तुम कितने कठोर निकले,सीता चोरी चोरी लाए बड़े चोर निकले...मैंने सोचा था योद्धा जमाने में,लाज आई ना सीता चुरान
बोलो बोलो आँखें खोलो
बोलो बोलो आँखें खोलो,बोलो बोलो आँखें खोलो, आओ गाओ प्रभु का नाम, आओ गाओ प्रभु का नाम, सीताराम सीताराम सीताराम,बोलो बोलो आ
नाम को भजने से बेड़ा पार है
नाम को भजने से बेड़ा पार है...-2बिन भजन के ये जन्म बेकार है,नाम को भजने से बेड़ा पार है...ये मानुष सुंदर जन्म तुझको मिला
राम नाम के साबुन से जो मन का मैल भगाएगा
राम नाम के साबुन से जो मन का मैल भगाएगा,राम नाम के साबुन से जो मन का मैल भगाएगा,निर्मल मन के शीशे में तू राम के दर्शन पा
मत मांगो यह वचन रानी मेरे प्राण चले जाये
मत मांगो यह वचन रानी मेरे प्राण चले जाये, होये अयोध्या अनाथ आज मेरे राम बिछड़ जाये॥
तुलसी अपनी रामायण में कह गए
तुलसी अपनी रामायण में कह गये,राम भी आकर यहाँ दुःख सह गये॥राम मर्यादा सिखाने आये थे,धर्म के पथ पर चलाने आये थे,तुलसी अपनी
यह कंचन का हिरण
यह कंचन का हिरण, नाथ हमें लगता प्यारा है,सर से पैरों तक है सोना, इसकी छाल हमें ला देना,दीनबंधु भगवान् यही एक अरज हमारी ह
परम पिता से प्रीत लगा
परम पिता से प्रीत लगा भवसागर से पार हो जा....-2सत्संग में नित जाया कर, गुण ईश्वर के गाया कर,मन अपने को शुद्ध बना, भवसागर
कैसे तुझे मैं रिझाऊँ
राम नाम सच,बाकी झूठा रे,तू ही खरा बाकी सब खोटा रे,कैसे तुझे मैं पुकारूँ,कैसे तुझे मैं रिझाऊँ,मेरे राम जी तुझसे,कैसे नाता
भगवा रंग चढ़ने लगा है
मंदिर अब बनने लगा है,भगवा रंग चढ़ने लगा है,मंदिर जब बन जायेगा,सोच नजारा क्या होगा,देश हमारा देश हमारा,सोचो सोचो ,इससे प्
राम मिथला में आए
कमाल हुई गवा हो कमाल हुई गवा,कमाल हुई गवा हो कमाल हुई गवा,राम मिथला में आए कमाल हुई गवा...राम मिथला में आए कमाल हुई गवा,
वन वन फिरत अकेले राम
वन वन फिरत अकेले राम अपना नहीं कोई...-4सास के जाए जेठ मेरे होते...-2लाज घुंघट कर लेती राम अपना नाहै कोई,वन वन फिरत अकेले
म्हने राम नाम धुन लागी
म्हने राम नाम धुन लागी आज,सतसंग में म्हारो मन लाग्यो,मैं तो मोह माया ने त्यागी आज,सतसंग में म्हारो मन लाग्यो,ऐसी लगन हरी
राधेश्याम सीताराम होवे मेरे घर में
राधेश्याम सीताराम होवे मेरे घर में,ऐसी वैसी बात ना आवे मेरे मन में॥एक दिना प्रभु आवे मेरे मन में,गणपति जी का मंदिर होवे
तुझे राम नाम गुण गाना है
तुझे राम नाम गुण गण है।राम नाम अमृत का प्याला,पीना और पिलाना है।।तुझे राम नाम गुण गण है।राम नाम की माला लेकर,भाव सागर तर
तुम बिनु राम नहीं कोउ मेरौ
तुम बिनु राम! नहीं कोउ मेरौ,बिनु तव चरन-सरन सीतापति! दीखै जगत अंधेरौ॥जब से जनम लियो करुनामय परौ पाप सों भेरौ।कबहुँ \'रा
हनुमान तेरा कर्जा मै कैसे चुकाऊंगा
भगत तूने बहुत किया बहुत किया रघुकुल पे उपकार,याद तुझे रखेगा रखेगा, मेरा ये परिवार,हैं इतने एहसान तेरे मैं भूल ना पाऊँगा,
गंगा मैया धीरे बहो
मेरी नैया में लक्ष्मण राम गंगा मैया धीरे बहो,धीरे बहो गंगा धीरे बहो,नैया में लक्ष्मण राम गंगा मैया धीरे बहो....लहरों में
राम नाम के दीवाने
राम नाम के दीवाने,पूजे जिनको दुनिया माने,सबके संकट मोचन प्यारे हनुमान हैं,ये हैं अंजनी के प्यारे,बाबा लाल लंगोटे वाले,ते
नैना राह निहारे आजाओ मेरे राम
व्याकुल मन से सिया पुकारे आपको सुबह शाम,व्याकुल मन से सिया पुकारे आपको सुबह शाम,नैना राह निहारे आजाओ मेरे राम श्री राम म
मैंने घी के दीप जलाए
मैंने घी के दीप जलाए राहो में है नैन बिछाये,पूजा करती सुबह शाम जी मेरे घर आजो राम जी.....राम जी घर में आये स्वर्ग सागर ह
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