Hanuman Chalisa


ये विधि का विधान है जो आया है सो जाएगा
ये विधि का विधान है जो आया है सो जाएगा ये तन है माटी का पुतला मिटी में मिल जायेगा ये विधि का विधान है जो आया है सो जाएगा

उज्जैन नगरी महान
सब तीर्थों में तीर्थ बड़ा है उज्जैनी महानयहां पर शिक्षा पाने आए श्री कृष्ण भगवानयह है नगरी महान यह है नगरी महान उज्जैन न

धरा पर अँधेरा बहुत छा रहा है
धरा पर अँधेरा बहुत छा रहा है।दिये से दिये को जलाना पड़ेगा॥घना हो गया अब घरों में अँधेरा।बढ़ा जा रहा मन्दिरों में अँधेरा॥

साणु तेरे ही मिलन दा
साणु तेरे मिलन दा चाह सोह्णेया साणु तेरे मिलान दा -2 मैं ता तेरी हीर सलेटी -2 कितो रांझन बन के आ सोह्णेया साणु तेरे मिला

नकोदर का बच्चा बच्चा
यूँ तो क्या क्या नज़र आता यूँ तो क्या क्या नज़र आता। .. बाबा जी... कोई तुमसा नज़र नहीं आता झोलीया सब की भर दी जाती है दे

हर भज हर भज
हर भज हर भज हीरा परख ले,समझ पकड़ नर मजबूती ।अष्ट कमल पर खेलो मेरे दाता,और बारता हैं झूठी।इन्द्र घटा से सतगुरु आया,आँवत ल

असां ते तैनू रब्ब मन्नेया
तेरे नैना ऐस काफिर क्या छुपाऊं तुझसे आखिरतेरे नैना ऐस काफिरक्या छुपाऊं तुझसे आखिरतू तो जाने मेरी सारी चोरियांतेरे पीछे त

साहेब रउरी नोकरी में
साहेब रउरी नोकरी में बड़ी सुख पाइले।साहेब रउरी नोकरी में बड़ी सुख पाइले।वाटे बाटे जाइले , त्रिवेणी नहाइले,झर झर मोती बरस

मेरी माँ
मैं कभी बतलाता नहीं पर अंधेरे से डरता हूँ मैं माँ यूँ तो मैं दिखलाता नहीं तेरी परवाह करता हूँ मैं माँ तुझे सब है पता, है

मेरे साहेब दे रंग न्यारे
ੴ ਸਤਿ ਨਾਮੁ ਕਰਤਾ ਪੁਰਖੁ ਨਿਰਭਉ ਨਿਰਵੈਰੁ ਅਕਾਲ ਮੂਰਤਿ ਅਜੂਨੀ ਸੈਭੰ ਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥॥ ਜਪੁ ॥ਆਦਿ ਸਚੁ ਜੁਗਾਦਿ ਸਚੁ lਹੈ ਭੀ ਸਚੁ ਨਾਨਕ ਹੋਸੀ ਭੀ

माँ
धुप जब सताए,आँचल से धक लेती हो,चोट जब भी आये ,संग मेरे रो देती हो ,ताबीज जो मैं निकाल दूं ,परेशां हो जाती हो ,तुम किसी क

चरखा
चरखा खूब घुमाया, चरखे का भेद ना पायाहीरा जन्म गंवाया री, चरखे का भेद ना पायाकौन देश से आया तेरा चरखा, कौन देश में जाएगाच

कैसा खेल रचाया
कैसा खेल रचाया मेरे दाता, जित देखूं उत तुम ही तुमकैसी भूल जगत पर डाली, सब करनी कर रहा तू....नर और नारी में एक तू ही, सार

कभी धूप तो कभी छाव
सुख दुख दोनो रहते जिसमे,जीवन है वो गाँव,कभी धूप कभी छाव,कभी धूप तो कभी छाव,उपर वाला पासा फेंके,नीचे चलते दाँव,कभी धुप कभ

कीर्तन की रात है बाबा का साथ है
आज ख़ुशी से झूम रहा दिल,ना जाने क्या बात,कीर्तन की रात है,बाबा का साथ है.....-2भैरुँ जी बाबा का खूब सजा दरबार है,भैरुँ ज

चलते-चलते तेरे दर पे आगए
चलते-चलते तेरे दर पे आगए,था मुकदर जिनका दर्शन पा गएऐ मेरी तकदीर तुझसे क्या मिला,रास्ता मिलने पर भी गुमराह गये कोन सी होग

कहां छिपे हो हे भगवान
कहां छिपे हो हे भगवान, उतर धरा पर देखो आन ।तेरी इस सुन्दर सृष्टि में तड़प रहा तेरा इन्सान ।।मंगल हो चहुँदिशि मंगल हो सुन

पापा को पाया तो रब को पाया
पापा को पाया तो,रब को पाया है,पापा की छाया में,दिल का चैन पाया है,ये कैसा रिश्ता है,कैसा नाता है,जन्म जन्म तक,पापा तेरा

धर्म को डर नहीं
धर्म को डर नहीं दुनिया रे माँय ,धणियाँ बिना तो आज सूनी फिरे गाय ।कटवाने चाली आज काना थारी गाय ,सुणो – सुणो म्हारा सांवरा

ऋषिकेश योगपीठ
योग से निरोग अबविश्व सारा होगा ठीकयोग से निरोग अबविश्व सारा होगा ठीकदेवो का संदेश आओऋषिकेश योगपीठदेवो का संदेश आओऋषिकेश

तेरा जन्म मरण मिट जाए
तेरा जनम मरण मिट जाए,तू हरी का नाम सुमिर प्यारे ।बालापन में मन खेलन में, सुख दुःख नहीं था रे,जोबन रसिया कामन बसिया तन मन

सोई निज पीव हमारा हो
दर दिवार दर्पण भयो,जित देखू तित तोय ।कंकर पत्थर ठीकरी,सब भयो आरसी मोय ॥आवे ना जावे, मरे नहीं जन्मे,सोई निज पीव हमारा हो

क्या भरोसा हैं इस जिंदगी का
कहाँ से आया जाना कहाँ,आखिर कहाँ मुकाम,बन्दे कर ले बंदगी,कर नेकी के काम।क्या भरोसा हैं इस जिंदगी का,साथ देती नहीं ये किसी

इंसान जान कर भी इतना समझ ना पाया
इंसान जान कर भी इतना समझ ना पाया,जाना पड़ेगा इक दिनजाना पड़ेगा इक दिन ये है मकान पराया,इतना समझ ना पाया इंसान जानकर भी इ

मुझे ज्ञान दे दे भगवान
मुझे ज्ञान दे दे भगवान, दर्द मेरे तन मन मेंपहला बुलावा मुझे ब्रह्मा जी का, मैं गई ब्रह्मा के पास -2मुझे मिल गया वेदों का

शुभ मंगल हो
शुभ मंगल हो, शुभ मंगल हो ।धरती का कण कण मंगल हो ।।यहा मंगल हो वहा मंगल हो ।सर्वत्र ही मंगल मंगल हो ।।जल मंगल हो थल मंगल

मिट्टी दा खिडोना करे
मिट्टी दा खिडोना करे, मिट्टी दा गुमान,पानी दे बबुले दी, वेखो किन्नी शान,मिट्टी दा खिडोना करे.....धरती दे सीने उत्ते, किव

तेरा सब नालों रिश्ता मुकणा
तेरा सब नालों रिश्ता मुकणा,जदों चार बंदेया ने तेनूं चुकणा......-2जग विच आदे ही तूं रिश्ते बनाए सी,ममता दुलारां वाले फंदे

नबजिया वैद क्या जाणे
नबजिया वैद क्या जाणे,मुझे दिल कि बीमारी है।।कभी कफ रोग बतलाये,कभी तासीर गरमी की,जिगर का हाल तू मेरा,नहीं जाने अनाडी है,न

मुझे अपना बना लो
मुझे अपना बना लो, हे दाता मेरे,मैं तेरा हूँ, तेरा हूँ मेरे विधाता ॥तेरे सिवा मेरा कोई ना सहारा,गले से लगा ले, मैं हू बेस
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