Hanuman Chalisa


ॐ पितु माताय नमः
ॐ पितु माताय नमः ॐ श्री गुरुवे नमः ॐ श्री माँ धराय नमः ॐ गं गणपतये नमः गुरु ब्रम्हा, गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा, गु

मन सागर दरियाव है
मन सागर दरियाव है, उड़े रंग फुहारा,सुफल बाग़ मनरंग है, फूली रया फुलवारा,मन सागर दरियाव है.............ब्रह्म निज बीज बोइ

दादा अरदास लगाई
मने अरदास लगाई, पूरी करो जी दादा देव,पूरी दादा देव, करो जी पूरी दादा देव,मने अरदास लगाई, पूरी करो जी दादा देव.......कहते

बाबा आयो रे भादरवो मास
ए हे बाबा आयो रे भादरवो मास, रुनिचे मारो मन लागो, मरे उठी रे हिवड़े रे हिलोर... रुनिचे मारो मन लागो, अजमल जी रा कवर कहाव

भेरू जी थारा द्वार पे
भेरू जी थारा द्वार पे आयो हु दुकड़ा टार दे,कंका ली रा लाल भेरू जी ऊबो थारे बारणे,भेरू जी थारा द्वार पे....जेठ मास थारो ज

हर कदम पर मौत मंडराये
हर कदम पर मौत मंडराये, भजन करलो जरा,जाने कब किसकी बारी आये, भजन करलो जरा,हर कदम पर मौत....जो भी जैसा भी करम करता यहां पर

कलयुग बोल्या परीक्षित ताहीं
कलयुग बोल्या परीक्षित ताहीं, मेरा ओसरा आया,अपने रहण की खातिर मन्नै इसा गजट बणाया॥सोने कै काई ला दूंगा, आंच साच पै कर दूं

लाख चौरासी जीया जून में नाचै दुनियां सारी
लाख चौरासी जीया जून में नाचै दुनियां सारी,नाचण मैं के दोष बता या अक्कल की हुशियारी.....सबतैं पहलम विष्णु नाच्या पृथ्वी ऊ

सतसंग में जाण ते हटाइये मत ना
सतसंग में जाण ते हटाइये मत ना,सतसंग में जाण ते हटाइये मत ना,मेरा मान बहू तू घटाइये मत ना,मेरा मान बहू तू घटाइये मत ना...

हे तु चटक चुन्दड़ी आली
हे तु चटक चुन्दड़ी आली,तनै तो मेरा पिया मोह लिया हे,हे तु चटक चुन्दड़ी आली,तनै तो मेरा पिया मोह लिया हे,हे तु चटक चुन्दड

फूल लेने रानी तारा ने अपनों कुमर पठायो
फूल लेने रानी तारा ने अपनों कुमर पठायो।विश्वामित्र मुनि ने बनके सर्प कुमर डस खायो,काशी की गलियन में जाए के दही आवाज लगाई

भैरू बिलमायो रे
भैरू बिलमायो हाय कल्लाड़ी नथंली म डोलर हिंडो घाल कल्लाड़ी,भैरू बिलमायो रे...काहे म बुआ दू डोडा ऐ आहे कल्लाड़ी,काहे म बुआ

धरती पे चाँद उतरने वाला है
तर्ज - एक नन्हा सा मेहमानइस धरती पर चाँद उतरने वाला है,जिसका था इंतजार वो आने वाला है,अपनी पलको को राहो में बिछाये रखना,

आई कीर्तन की रात
तर्ज - मीठे रस से भरयोडीआई कीर्तन की या रात, थाने आणो पड़सी बाबोसा, आणो पड़सी,थारे भक्ता ने दर्श दिखाणो पड़सी बाबोसा, भ

सुस्वागतम बाईसा
हो रहा शुभ आगमन, हर्षित हुआ है ये मन,श्री मंजू बाईसा आज पधारे, पावन हुआ ये घर आँगन,सु स्वागतम... सु स्वागतम.... सु स्वाग

ऋणमोचन मंगल स्तोत्रम्
श्रीमङ्गलाय नमःमङ्गलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः ।स्थिरासनो महाकायः सर्वकर्मावरोधकः ॥ १ ॥लोहितो लोहिताङ्गश्च सामगानां

ईश्वर एक ही है
ईश्वर एक ही है पूजा अलग-अलग होती है......ब्रह्मा को मना लो चाहे विष्णु को मना लो,चाहे भोले पर दूध चढ़ा लो,क्रिया एक ही ह

अल्लाह तेरो नाम ईश्वर तेरो नाम
अल्लाह तेरो नाम, ईश्वर तेरो नाम,सबको सन्मति दे भगवान,सबको सन्मति दे भगवान,अल्लाह तेरो नाम.....माँगों का सिन्दूर ना छूटे,

प्रभु चरणों में आके जो मिलता है
प्रभु चरणों में आके जो मिलता है, सहारा हो तो ऐसा हो,कृपा से इनकी जो चलता है,गुजारा हो तो ऐसा हो.....गया ना लौट कर कोई इन

मन के बहकावे में ना आ मन
मन के बहकावे में ना आ मन राह भुलाये भ्रह्म में डाले, तू इस मन का दास ना बन,इस मन को अपना दास बनाले, तू इस मन.....जूठी का

प्रेम का रूप विधाता
चंदन केसी कंठी माला,प्रेम बिना नहीं भाता।प्रेम का रूप विधाता,प्रेम का रूप विधाता।।प्रेम बिना भक्ति कहां, भक्त में शक्ति

समय ना व्यर्थ गवा
विषयों से मोड़ के मुखड़ा विषियो से,,हरि नाम की ओढ़ दुसाल, समय ना व्यर्थ गवा,अब चलना छोड़ कुचाल, समय ना व्यर्थ गवा।।बीती

जो पराया दर्द अपनाए उसे इंसान कहते हैं
किसी के काम जो आए उसे इंसान कहते हैं,जो पराया दर्द अपनाए उसे इंसान कहते हैं,किसी के काम जो आए....कभी धनवान है कितना, कभी

यहां कोई नहीं अपना दुनिया ही बेगानी है
यहां कोई नहीं अपना दुनिया ही बेगानी है,दुनिया जिसे कहते हैं वह झूठी कहानी है, यहां कोई नहीं अपना......एक फूल सा बचपन था

बेटी चली पराए देश
दोहा।( क्या इस आंगन के कोने में मेरा कोई स्थान नहीं,अब मेरे रोने का पापा तुमको बिलकुल ध्यान नहीं,बेटी चली पराए देश,बेटी

तू ढोल बजा लाँगुरिया
तू ढोल बजा लाँगुरिया,जोगिनी लहर लहर लहरावैगी,तू ढोल बजा लाँगुरिया,जोगिनी लहर लहर लहरावैगी,जोगिनी लहर लहर लहरावैगी,तू ढोल

तूने जो कमाया है
तूने जो कमाया है ===============धुन- जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं ^तूने जो कमाया है, तूने जो कमाया है,,,हो,,,

वो राम वर ढूंढे वो कृष्ण वर ढूंढे
बजी शहनाई बरात घर आई, हमारे घर आनंद छाया है रे.....वो लाडो तेरे बाबा वो लाडो तेरे ताऊ, वो राम वर ढूंढे वो कृष्ण वर ढूंढे

सासु पूछे बहुल से तू क्या लाई पीहर से
सासु पूछे बहुल से तू क्या लाई पीहर से,सच ही सच बताऊं री सासुल ये लिए लाई मैं पीहर से.....मेरी चुनरी में पूजा हो रही गौरी

मिटे से मिटती नहीं है कर्म की लकीर रे
सरवन जल झाड़ी लेकर भरने चला नीर रे,चलते ही चलते पहुंचा सरयू के तीर रे......अंधे दोनों मात पिता को कावड़ में बैठार के,सब
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