Hanuman Chalisa
खोजते जिसे स्वयं भगवान
कहां छुपा बैठा है अब तक वह सच्चा इंसान,खोजते जिसे स्वयं भगवान,जिसने रूखा सूखा खाया ,पर न कहीं ईमान गवाया ,उसने ही यह भोग
मोज लगा दी रे
आज खुशी ना मन मैं समावै, म्हारो मन डो नाचै गावै, दुखां री काली छाया म्हारे घर सु हटा दी रे,किरपा कर दी बाबो घर मैं मोज ल
सुन ल्यो अर्जा म्हारी
सुन ल्यो अर्जा म्हारी॥ ध्जाबन्द धारी मैं तो आयो हूँ शरण मैं थारी,ध्जाबन्द धारीउजड़ गया नै बाबा ,अब थे हि बसाओ, घर गी म्ह
बाबा आँगन पधारो
बाबा आँगन पधारो , दरबार सजायो थारो , करूँ विनती मैं बारम्बार, म्हाने दर्शन दयो एक बार. . . . जोत जगाई बैठया म्हे थारी, ब
हरि आ जाओ
हरी आ जाओ, इक्क वार, हरी आ जाओ, इक्क वार llहरी आ जाओ, इक्क वार, हरी आ जाओ, इक्क वार llहरी आ जाओ, इक्क वार, हरी आ जाओ, इक
बिना तुम्हारे कौन उबारे
बिना तुम्हारे कौन उबारे भटकी नाव हमारी किनारा खो गया है,तुम्ही रैया तुम्ही खिवैयाँ किनारा खो गया है,तारण तरिया तुम हो तु
मारन वाले से ज्यादा वो बड़ा बचाने वाला
मारन वाले से ज्यादा वो बड़ा बचाने वाला,उस दुश्मन क्या मारेगा जिसका भगवन रखवाला शावक हांडी में दब गये,भीषण की आग है बाकी,
धरो सर पे हाथ
बैकुंठ नाथ धरो सर पे हाथ,हो जाए कृपा जो थारी,हे निकुंज निरंजन दीजो आशीर्वाद,आया शरण मैं तुम्हारी,पग पग राह कठिन हैमन मे
की कहने की कहने मेरे रामा पीर दे
भजदे ढोल ते छेने सुगना दे वीर दे,की कहने की कहने मेरे रामा पीर दे,धरती नचे अम्बर नचे नच्दे चंद सितारे,एसी किरपा करती बाब
मन धीर धरो घबराओ नहीं
मन धीर धरो, घबराओ नहीं, भगवान मिलेंगे, कभी न कभी llभगवान मिलेंगे, कभी न कभी, भगवान मिलेंगे, कभी न कभी lमन धीर धरो,,,,,,,
तू दयालु दीं मैं तू दानी मैं भिखारी
तू दयालु दीं मैं तू दानी मैं भिखारी,मैं प्रिशिद पात की तू पाप पुंज हारी,तू दयालु दीं मैं तू दानी मैं भिखारी,नाथ तू अनाथ
गीता में भी यही लिखा है
गीता में भी यही लिखा है, यही है वेद पुराण मेंक्यों भगवान को दर दर ढूंढे, वो है हर इंसान मेंधरती के कण कण में वो है, पर त
जाणो- जाणो जम्भेश्वर रे धाम
जाणो-जाणो जम्भेश्वर रे धाम,मुक्ती रोअवसर आवियो ।मिले ना ऐसो अवसर बारम्बार,दर्शन रो अवसर आवियो।।गुरू जी किया-किया प्रहादा
ईस जग मे मानव तन
इस जग मे मानव तन,मुश्किल से मिलता है।हरी का तु भजन करले,ये समय निकलता है।मानव तन हीरा है,गफ़लत मे मत खोना।बिन भजन के ओ प
जम्भेश्वर के दर्शन करने
जम्भेश्वर के दर्शन करने ,चलो सभी नरनारचलो समराथल चालाधोरे ऊपर लगा हुआ जहा,जम्भ गुरू का दरबारचलो समराथल चालागुरू जी के चर
इस दुनिया मे रहकर
इस दुनियां मे रहकर,बेशक तु सब कुछ कर,पर पाप कर्म ना कर,उस परमेश्वर से डर,तु पाप कमाएगा,पापी बन जाएगा,पङे नरक की कुण्ड,रो
आपकी शरण में आया
आपकी शरण में आया,अपनालो दाता मेरे,भटक रहा था जिसके लिये,मिल गए मालिक मेरे ,आप मेरी जिन्दगी हो,मै आपका जीव हूँ ,आप ही साग
बता दो जगत
बता दो जगत के मालिक,तेरा दीदार कहाँ होंगा,कोई ढूढे है काशी मे,कोई ढूढे है काबे में,पता नही चला किसी को,मेरे सरदार कहाँ ह
हे परमेश्वर दीन दयालु
हे परमेश्वर दीन दयालु,भीख दया की दे देना,डोल रही है बीच भँवर मेरी,नैया पार लगा देना,जब कष्ट पङे तुझे याद करू,ओर अनेक फरि
जब नयना नीर भरे
जब नयना नीर भरे जब अँखियाँ नीर भरेलूट-लूट दधि माँखन खायो,ग्वाल बाल संग रास रचायो ,जब बंशी की टेर करे जब नयना नीर भरेमात
आपको ही आसरो है
आपको ही आसरो है,आपको ही शरणो है,आपके ही चरणो में,जीणो ओर मरणो है,आप ही माता-पिता,कुटुम्ब परिवार हो,भाई बन्धु सखा सहायक,त
ये माया तेरी
ये माया तेरी,अजब निराली भगवान,बङे-बङे ॠषियों को लूटा,शूर वीर बलवान,हाड माँस का बना पूतला,ऊपर चढा है चाम,देख-देख सब लोग र
कहने मे कुछ भी कहे
कहने में कुछ भी कहे,मगर मन मे जानते,बाहर से अनजान है पर,दिल से पहचानते,भटका हुआ राही हूँ में,मंजिल का पता नही,मिले या ना
प्रभु जी सबके सिरजन हार
प्रभु जी सबके सिरजन हारतेरे बिना अब कोई नही है,जग का पालन हारजग की प्रीती अज़ब निराली,जाने जानन हारबिन मतलब ना मुख से बो
कहे शास्त्र वेद पुराण
कहे शास्त्र वेद पुराण,महिमा सतसंग कीकरे ऋषि मुनी गुण गान,महिमा सतसंग की सत संग है भव सागर नोका पार करण का यही है मोका अव
मिनख जमारो मिल्यो जग माही
मिनख जमारो मिल्यो जग मांही,ओर भळे कांई चावे तूं,लख चोरासी भटकत-भटकत,जूण अनेको भुगत्यो तूं,मानव तन अनमोल रतन धन,विरथा मत
थे तो जाम्भा जी म्हारे
थे तो जाम्भा जी म्हारे,घणा मन भावणा,भक्त बुलावे थाने,आया सरसी ,थे तो गुरू जी म्हारे,हिवङे रा चानणादर्शन री प्यास बुझाया
मात पिता सुत नारी
मात-पिता सुत नारी,ओर इस झूठी दुनिया दारी कोछोङ कर के एक जाना,होगा की नही क्यो भूले जीवन के राही,दूर कही तेरी मंजिल सजी ध
कर ले प्रभु से प्यार
कर ले प्रभु से प्यार,नही पछताएगा,झूठा है संसार, धोखा खाएगा ,माया के जितने धन्धे,सब झूठे है बंदे,उनके तन उजले मन गंदे,अँख
नारायण धुन-श्रीमन नारायण नारायण
श्रीमन नारायण नारायण नारायण लख चौरासी, भोग के तूने, यह मानव तन पाया llरहा भटकता, माया में तूने, कभी न हरि गुण गाया, भज ल
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