Hanuman Chalisa
किनी सोहनी लगदी जोड़ी नागा दी
है आस पूजावे जोड़ी नागा दी,एह किनी सोहनी लगदी जोड़ी नागा दी,विच बर्मी दे वास एह न दा,दुनिया करदी जाप एहना दा,वेखियाँ जन्
मैं कम करदी रेहनी आ मेरी सूरत पीरा दे विच रेहँदी
मैं कम करदी रेहनी आ मेरी सूरत पीरा दे विच रेहँदी,पीरा दी दरगाह ते जावा झाड़ू फेरा पोचे लावा,सच्ची शरधा मन विच लेके पीरा
मैं सिख्खी दा नी छड्डणा राह
मैं सीखी दा नही छड़ना राह,आरिया तू चीरी जाई वे,आरिया तू चीरी जाई वे,आरिया तू चीरी जाई वे,मैं सीखी दा नि.....सीखी वाली रा
बच्चे मन के सच्चे
बच्चे मन के सच्चे सारी जग के आँख के तारे,ये वो नन्हे फूल हैं जो भगवान को लगते प्यारे, खुद रूठे, खुद मन जाये, फिर हमजोली
साडा पीरा ने चल्या कारोबार भगतो
साडा पीरा ने चल्या कारोबार भगतो,ओह्दी रेहमत ने साहनु दिता तार भगतो,मेरा काका भी है भेज दिता बाहर भगतो,ओह्दी रेहमत ने साह
कुंभ का मेला आया रे भक्तो
कुंभ का मेला आया रे भक्तो कुंभ का मेला आया,प्राग राज की धरती पर है कुंभ का मेला आया,गंगा यमुना सरस्वती में संगम प्राग त्
चलो कुम्भ करे संगम स्नान
चलो कुम्भ करे संगम स्नान,ये है जग मे महान,यहाँ कण कण में वसे भगवान,करे गंगा माँ का ध्यान,चलो कुम्भ करे संगम स्नान , ये ह
पीर लख दाता जी मेहर करो
पीर लख दाता जी मेहर करो मैं दर तेरे ते आई होइ आ,मेरे गुण अवगुण न देखो जी मैं जग दी बहुत सताई होइ आ,पीर लख दाता जी मेहर क
ना धन दौलत मांगू न मांगू राज खजाना
ना धन दौलत मांगू न मांगू राज खजाना,अमृत धुट पीला गंगा माँ चरणों में तेरे ठिकाना,ना धन दौलत मांगू न मांगू राज खजाना,कुंभ
हे मनमोहनियाँ लख दाता साहनु कदो भुलावे गा
हे मनमोहनियाँ लख दाता साहनु कदो भुलावे गा,तेरा पीर निगाहें डेरा साहनु कदो भुलावे गा,साहनु कदो भुलावे गा साढ़े घर कद आवे
गंगा जी में डुबकी लगा ले
माँ गंगे माँ गंगे माँ,लगा कुंभ का मेला भारी चल कर रे ले असनान जरा,गंगा जी में डुबकी लगा ले जग जायेगा भाग तेरा,यहाँ हर हर
रूखी मिले चाहे रोटी मुझे
रूखी मिले चाहे रोटी मुझे कोई गम नहीं,रखना सुखी परिवार मेरा विनती है बस यही,सिर पर हो न कर्जा कभी न हाथ फेहलाऊ कभी,दर दर
मेरे दाता तेरे दर उते आके
मेरे दाता तेरे दर उते आके,तेरे चरना च शीश झुका के एह मेरी तकदीर बदली,मेरे दुखा नु तू मार मुका के चरनी लगा के एह मेरी तकद
कोण किसै नै घराँ बुलावै
कोण किसै नै घराँ बुलावै, कोण किसे कै जावै रैहर दाणे पै मोहर लागरी, कोण दाणा पाणी ल्यावैकोण किसै नै घराँ बुलावै.......दाण
आज के युग में मानवता इंसान छोड़ कर दूर हुए
आज के युग में मानवता इंसान छोड़ कर दूर हुए,इसी किये मंदिर मस्जिद भगवान छोड़ कर दूर हुए,कर्म भी पैसा धर्म भी पैसा और पैसा
दुःख भी मानव की संपत्ति
दुःख भी मानव की संपत्ति है तू क्यों दुःख से गबराता है,सुख आया है तो जायेगा,दुःख आया है तो जायेगा,सुख देकर जाने वाले से ए
ना जरूत उन्हें पूजा और जाप की
ना जरूत उन्हें पूजा और जाप की,जिसने की बंदगी अपने माँ बाप की,रहता ईश्वर सदा उनके ही साथ है,बन गया जो लाठी भुड़े माँ बाप
अपने सपने तोड़ के पापा
अपने सपने तोड़ के पापा पुरे मेरे करते है,इन सपनो की कीमत क्या है ये हम न समझते है,पापा सब कुछ सहते है ,हम से कुछ भी न कह
पापा जल्दी आजा ना
पिता रोटी है पिता कपड़ा है पिता मकान है,पिता ननेसे परिन्दे का बड़ा आसमान है,पिता है तो हर घर मे हर पल राग है,पिता से माँ
जीहदे साइयाँ दी झंजर पै जंदी
जीहदे साइयाँ दी झंजर पै जंदी,ओ फ इको जोगी रह जंदी,ओह रूह फिर दर दर भज दी न,पका मल ठिकाना बह जांदी एह पैरी झांजर क्यों पे
तू सोच जरा इंसान
तू सोच जरा इंसान तेरी क्या हस्ती है,तू दो दिन का मेहमान जगत में करता फिर घुमान,तेरी क्या हस्ती है,कोड़ी कोड़ी माया जोड़ी
इक लाल देदे दातिया
इक लाल देदे दातिया मैनु लाल देदे लाला वालेया,फूल भुटा तेरे दर ते चढ़ावा,इक लाल देदे दातिया मैनु लाल देदे लाला वालेया,ढोल
खेरतपाल दा कहंदा गुलाम आ गया
खेरतपाल दा कहंदा गुलाम आ गया,खेतरपाल नल लाइया मजा आ गया,खेरतपाल दा कहंदा गुलाम आ गया,बाबा साहिब नाल लाइया मजा आ गया,ओह्द
बिना प्रभु तो किसे दे नाल प्यार न करि
बिना प्रभु तो किसे दे नाल प्यार न करि मना याद रखी,सोना छड़ के तू मिटटी दा व्यपार न करि ओ मना याद रखी,बिना प्रभु तो किसे
छड़ पाप जुलम दियां आदता जिह्ना दी जग निंदिया करे
नेकी खट ले जहां विच बंदेया तेरा यश दुनिया करे,छड़ पाप जुलम दियां आदता जिह्ना दी जग निंदिया करे,होया अमृत वेला उठ नाम थया
इतनी शक्ति हमें देना दाता
इतनी शक्ति, हमें देना दाता, मनका विश्वास, कमजोर हो ना, हम चलें नेक, रस्ते पे हमसे, भूलकर भी, कोई, भूल हो ना,हर तरफ़, ज़
हम बहुजन हमार बाबा रतनवा
हम बहुजन हमार बाबा रतनवा,जेहि लिखल भारत के सुंदर विधनवा,हम बहुजन हमार बाबा रतनवा,बहुजन के नैया डूबत रहे सागर खींच के कईल
मन मस्त हुआ फिर
मन मस्त हुआ फिर क्या बोले,क्या बोले फिर क्योँ बोले,हीरा पाया बांध गठरिया,हे बार बार वाको क्यों खोले, मन मस्त हुआ फिर ...
स्वासों को खोना ना अनमोल ख़जाना है
स्वासों को खोना ना अनमोल ख़जाना है,हर स्वास में राम जपो अगर राम को पाना है,कई जन्मो के अच्छे कर्मो से मिला नर तन,विषयो क
सत्य नाम का सुमिरन कर ले
सत्य नाम का सुमिरन कर ले कल जाने क्या होयजाग जाग नर निज आश्रम में काहे बिरथा सोयसत्य नाम का सुमिरन कर ले रे...जेहि कारन
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