Hanuman Chalisa
Tune into Devotional Melodies
Contemporary Devotional Music: A Harmony of Praise and Devotion
ओ पापी मन करले भजन
ओ पापी मन करले भजन,मौका मिला है तो करले जतन ।।जिसका मुझे था इंतजार,ओ पापी मन करले भजन, मौका मिला है तो करले जतन, बाद में
हम राम जी के, राम जी हमारे हैं
हम राम जी के, राम जी हमारे हैंहम राम जी के, राम जी हमारे हैंमेरे नयनो के तारे हैसारे जग के रखवाले हैहम रामजी के, रामजी ह
राम जप राम जप राम जप बावरे
राम जप राम जप, राम जप बावरे ,राम जप राम जप, राम जप बावरे ,घोर भव नीर निधि, नाम निज नाव रे,एक ही साधन सब, ऋद्धि सिद्ध साध
राम नाम का सुमिरन करके भक्ति लोग कामबे
राम नाम का सुमिरन करके भक्ति लोग कामबे ,भक्ति करी मीराबाई ने पीया जहर का पियाला , कर गए किरपा बो बनबारी जिसको अमृत कर ड
राम का सुमिरन बड़ा सुखदायी
राम का सुमिरन बड़ा सुखदायी,जुग के पालक हाइन रघुराई,राम शरण में मिलता सहारा,डूब रहे जो मिलता किनारा,राम की महिमा कैसे सुन
राम के नाम भरोसे चलना
राम के नाम भरोसे चलना, जीवन के हर पाठ पर,राम नाम को बना सारथि, काया के इस रात पर,मेरे राम, मेरे राम, मेरे राम राम राम,रा
राम नाम जपते रहो
राम नाम जपते रहो, जब तक घाट घाट में रामराम भाजो, राम रातो, राम साधो राम रामराम की महिमा का कोई आर ना कोई पार रेलाख जतन क
भज मन मेरे राम
भज मन मेरे राम नाम तू , गुरु आज्ञा सिर धार रे,नाम सुनौका बैठ मुसाफिर जा भवसागर पार रे,राम नाम मुद मंगल कारी , विघ्न हरे
राम मिलन दिया तैयारिया
राम मिलन दिया तैयारिया सौ सौ इंताज़िया ,खट्टे मीठे बैरा दिया भर लिया पिटारिया,राम मिलन दे खातिर बिलनी सौ सौ यतन मनाउंदी
राम बिनु तन को ताप न जाई
राम बिनु तन को ताप न जाईराम बिनु तन को ताप न जाईजल में अगन रही अधिकाई।राम बिनु तन को ताप न जाई॥तुम जलनिधि मैं जलकर मीना।
भए प्रगट कृपाला, दीनदयाला
भए प्रगट कृपाला, दीनदयाला,कौसल्या हितकारी।हरषित महतारी, मुनि मन हारी,अद्भुत रूप बिचारी॥लोचन अभिरामा, तनु घनस्यामा,निज आय
उठ नाम सिमर, मत सोए रहो
उठ नाम सिमर, मत सोए रहो,मन अंत समय पछतायेगाजब चिडियों ने चुग खेत लिया,फिर हाथ कुछ ना आयेगाउठ नाम सिमर, मत सोए रहो,मन अंत
जिसकी लागी रे लगन भगवान में
जिसकी लागी रे लगन भगवान में,उसका दिया रे जलेगा तूफ़ान मेंजिसकी लागी रे लगन भगवान में,उसका दिया रे जलेगा तूफ़ान मेंतन का
हमारे साथ श्री रघुनाथ तो किस बात की चिंता
हमारे साथ श्री रघुनाथ तो किस बात की चिंताशरण में रख दिया जब माथ तो किस बात की चिंताशरण में रख दिया जब माथा तो किस बात की
भरत भाई, कपि से उरिन हम नाहीं
भरत भाई, कपि से उरिन हम नाहींकपि से उरिन हम नाहींभरत भाई, कपि से उरिन हम नाहींसौ योजन, मर्याद समुद्र कीये कूदी गयो छन मा
ऐसें मेरे मन में विराजिये
ऐसें मेरे मन में विराजियेऐसें मेरे मन में विराजियेकी मै भूल जाऊं काम धामगाऊं बस तेरा नामभूल जाऊं काम धामगाऊं बस तेरा नाम
ना मैं धन चाहूँ, ना रतन चाहूँ
ना मैं धन चाहूँ, ना रतन चाहूँना मैं धन चाहूँ, ना रतन चाहूँतेरे चरणों की धूल मिल जाए,तेरे चरणों की धूल मिल जाएतो मैं तर ज
भजो रे मन, राम नाम सुखदाई
भजो रे मन, राम नाम सुखदाई।राम नाम के दो अक्षर में.सब सुख शान्ति समाई॥भजो रे मन,राम नाम सुखदाई।राम को नाम लेत मुख से,भवसा
राम का सुमिरन किया करो, प्रभु के सहारे जिया करो
राम का सुमिरन किया करो,प्रभु के सहारे जिया करोजो दुनिया का मालिक है,नाम उसी का लिया करोराम का सुमिरन किया करो,प्रभु के स
श्री रामरक्षास्तोत्रम्
श्रीगणेशायनम:।अस्य श्रीरामरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य।बुधकौशिक ऋषि:।श्रीसीतारामचंद्रो देवता।अनुष्टुप् छन्द:।सीता शक्ति:।श्रीमद
मधुर मधुर नाम सीता राम सीता राम
मधुर मधुर नाम सीता राम सीता राम,पावन पावन नाम सीता राम सीता राम,मीठा मीठा प्यारा नाम सीता राम सीता राम,मधुर मधुर नाम सीत
जग में साचे तेरो नाम हे राम, हे राम
हे राम, हे राम, हे राम, हे रामजग में साचे तेरो नाम । हे राम...तू ही माता, तू ही पिता है ।तू ही तू हे राधा का श्याम ।।तू
चित्र कूट केइ घात घात पर भीलनी
राम मेरे घर आना,श्लोक – चित्रकूट के घाट पर, भई संतन की भीड़,तुलसीदास चन्दन घिसे, तिलक करे रघुवीर॥चित्रकूट के घाट घाट पर,
राम मेरे घर आना
लक्षमण और सीता के संग वन को जाते राम |दर्शन प्यासी भीलडी जोत रही बाट ॥चित्रकूट के घाट घाट पर, भीलडी जुवे वाट ॥राम मेरे घ
ऐसी किरपा करो राम मेरे
ऐसी किरपा करो राम मेरे, हर जनम में रहू साथ तेरे॥चाहे कोई जनम मुझे देना ,मौका सेवा का मुजको ही देना,रहू चरण कमल मै तेर
प्रभु मिल जाएंगे
प्रेम की अगन हो,भक्ति सघन हो,मन में लगन हो तो,प्रभु मिल जाएंगे ॥हृदय में भाव हो,अनुनय की छांव हो॥आराधन का गांव हो,तो मन
रामजी की निकली सवारी
ऊऊओ सर पे मुकुट सजे मुख पे उजालामुख पे उजालाहाथ धनुष गले में पुष्प मालाहम दस इनके यह सबके स्वामीअंजान हम यह अंतरयामीशीश
बोल सुवा राम राम
राम किया सुख उपजे और कृष्ण किया दुःख जायेएक बार हरी ॐ रटे तो भव बंधन मिट जायबोल सुवा राम राम मीठी मीठी वाणी रे बोल सुवा
कलयुग बैठा मार कुंडली
कलयुग बैठा मार कुंडली जाँऊ तो में कहा जाँऊ ।अब हर घर मे रावण बैठा इतने राम कहा से लाऊँ ।दशरथ कौशल्या जैसे मातपिता अब भी
राम नाम अति मीठा है कोई गा के देख ले
राम नाम अति मीठा है, कोई गा के देख लेआ जाते है राम, कोई बुला के देख लेआ जाते है राम...जिस घर में अहंकार वहाँ, मेहमान कहा