Hanuman Chalisa
Tune into Devotional Melodies
Contemporary Devotional Music: A Harmony of Praise and Devotion
नवधा भक्ति
In the Ramayana, Lord Rama explains the nine types of devotion or penance to Shabri:श्रीराम जी ने शबरी को नवधा भक्ति के
तेरे दर को छोड़ के किस दर जाऊं मैं
निसदिन सुमिरन ही करूँ, राम राम श्री राम,तेरे दर को छोड़ के, किस दर जाऊं मैं,देख लिया जग सारा मैंने, तेरे जैसा मीत नहीं।त
राम भजन कर मन
राम भजन कर मन,ओ मन रे कर तू राम भजन।सब में राम, राम में है सब,तुलसी के प्रभु, नानक के रब्ब।राम रमईया घट घट वासी,सत्य कबी
मेरे राम आएंगे
ओ मैं तो राह बुहारूं, ओ मेरे राम आएंगे।बैठे बाट निहारूं, हाँ मेरे राम आएंगे ।हाँ मेरे राम आएंगे, शबीरी के राम आएंगे ।हा
अयोध्या का है सुन्दर नजारा
अयोध्या का है सुन्दर नजारा ।ये तो तीर्थो में तीरथ है प्यारा ॥टेक ॥अयोध्या है बड़ा मनभवन ।हो ये तो भूमि बड़ी है पावन॥वह प
रघुवीर तुम्हारे मन्दिर में मै भजन सुनाने आया हूँ
रघुवीर तुम्हारे मन्दिर में मै भजन सुनाने आया हूँ ।घनश्याम के चरणों में मै दर्शन करने आया हूँ ॥ टेक ॥ अंतरा
रघुवर तुमको मेरी लाज
रघुवर तुमको मेरी लाज ।सदा सदा मैं शरण तिहारी,तुम हो गरीब निवाज़ ॥पतित उद्धारण विरद तिहारो,शरावानन सुनी आवाज ।हूँ तो पतित
मन चंचल चल राम शरण में
माया मरी ना मन मरा, मर मर गया शरीर ।आशा तृष्णा ना मरी, कह गए दास कबीर ॥माया हैं दो भान्त की, देखो हो कर बजाई ।एक मिलावे
राम भजो आराम तजो
राम भजो आराम तजो ।राम ही शक्ति उपासना,राम ही शान्ति साधना ।राम ही कार्य प्रेरणा,राम ही योग और धारणा ।राम ही लक्ष्य है लक
दिल खोले मिल के बोलो सारे बोलो सीता राम
रामा ओ रामा रे, रामा ओ रामा रे ।दिल खोले, मिल के बोलो, सारे बोलो, सीता राम ।जीना क्या उस का जीना, जो लेता कभी ना, सिया व
आए हैं प्रभु श्री राम भरत फूले ना समाते हैं
आए हैं प्रभु श्री राम,भरत फूले ना समाते हैं ।तन पुलकित मुख बोल ना आए,प्रभु पद कमल रहे हिए लाये ।भूमि पड़े हैं भरत जी,उन्
राम प्रभु आधार जगत के राम जीवनाधार
राम प्रभु आधार जगत के,राम जीवनाधार ।राम एक आदर्श हमारे,वंदन करूँ हज़ार ॥दो अक्षर की अमोघ शक्ति, महा मंत्र है मंगल नाम ।श
तू दयाल दीन हौं तू दानी हौं भिखारी
तू दयाल, दीन हौं,तू दानी, हौं भिखारी ।हौं प्रसिद्ध पातकी,तू पाप पुंज हारी ॥नाथ तू अनाथ को,अनाथ कौन मोसो ।मो सामान आरत ना
राम नाम के हीरे मोती मैं बिखराऊं गली गली
राम नाम के हीरे मोती, मैं बिखराऊं गली गली ।ले लो रे कोई राम का प्यारा, शोर मचाऊं गली गली ॥दोलत के दीवानों सुन लो एक दिन
राम राम राम भजो राम भजो भाई
राम राम राम भजो राम भजो भाई ।राम भजन बिन, जीवन सदा दुखदायी॥अति दुर्लभ मनुज देह सहज ही पायी ।मुर्ख रहो राम भूल, विषयन मन
तेरे मन में राम तन में राम रोम रोम में राम रे
दोहा: राम नाम की लूट है, लूट सके तो लूट ।अंत समय पछतायेगा, जब प्राण जायेंगे छूट ॥तेरे मन में राम, तन में राम, रोम रोम मे
कभी कभी भगवान् को भी भक्तों से काम पड़े
कभी कभी भगवान् को भी भक्तों से काम पड़े ।जाना था गंगा पार प्रभु केवट की नाव चढ़े ॥अवध छोड़ प्रभु वन को धाये,सिया राम लखन
प्रगटे हैं चारों भैया में अवध में बाजे बधईया
प्रगटे हैं चारों भैया में, अवध में बाजे बधईया ।जगमगा जगमग दियाला जलत है,झिलमिल होत अटरिया, अवध में बाजे बधईया ॥कौन लुटाव
तुम आशा विश्वास हमारे
तुम आशा विश्वास हमारे ।तुम धरती आकाश हमारे ॥तात मात तुम, बंधू भ्रात हो,दिवस रात्रि संध्या प्रभात हो ।दीपक सूर्य चद्र तार
मेरी चोम्पड़ी के भाग्य आज खुल जायेंगे राम आयेंगे
मेरी चोम्पड़ी के भाग्य आज खुल जायेंगे, राम आयेंगे।राम आयेंगे और दरश दिखाएँगे, राम आयेंगे॥पूजा पाठ दा ता मेनू वल ना।प्रेम
मैंने राम नाम धन पाया मेरे जीवन में रस आया
ध्याम मूलं गुरुर मूर्ति, पूजा मूलं गुरु पदम्।मन्त्र मूलं गुरुर वाक्यं मोक्ष मूलं गुरु कृपा॥गुरु जी को करिए वंदना, भाव से
आज राम मेरे घर आए
आज राम मेरे घर आए, आज राम मेरे घर आए।नी मै ऊँचे भाग्य वाली, मेरी कुटिया के भाग्य जगाए॥नी मै राह में नैन बिछाऊं, और चन्दन
सुख के सब साथी दुःख में ना कोई
सुख के सब साथी, दुःख में ना कोई।मेरे राम, मेरे राम, तेरा नाम एक सांचा दूजा ना कोई॥जीवन आणि जानी छाया,जूठी माया, झूठी काय
मन में राम बसा ले
जनम सफल होगा रे बन्दे, मन में राम बसा ले।जय राम राम के मोती को, साँसों की माला बना ले॥राम पतितपावन करुनाकर और सदा सुखदात
राम का गुणगान करिये
राम का गुणगान करिये, राम का गुणगान करिये।राम प्रभु की भद्रता का, सभ्यता का ध्यान धरिये॥राम के गुण गुणचिरंतन,राम गुण सुमि
कलिओं मे राम मेरा किरणों मे राम है
दोहा: पूजा जप ताप मैं नहीं जानू, मै नहीं जानू आरती |राम रतन धन पाकर के मै प्रभु का नाम पुकारती ||कलिओं मे राम मेरा, किरण
जय रघुनन्दन जय सियाराम
जय रघुनन्दन जय सियाराम |हे दुखभंजन तुम्हे प्रणाम ||भ्रात भ्रात को हे परमेश्वर, स्नेह तुन्ही सिखलाते |नर नारी के प्रेम की
हे रोम रोम मे बसने वाले राम
हे रोम रोम मे बसने वाले राम,जगत के स्वामी, हे अन्तर्यामी, मे तुझ से क्या मांगूं |आप का बंधन तोड़ चुकी हूं, तुझ पर सब कुछ
जाके प्रिय ना राम बैदेही
जाके प्रिय ना राम-बैदेही,सो छाड़िये कोटि बैरी सम, जद्यपि परम स्नेही |तज्यो पिता प्रह्लाद, विभिसन बंधू, भारत महतारी |बलि
सूरज की गर्मी से जलते हुए
सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर की छाया,ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है, मैं जब से शरण तेरी आया, मेरे राम |