
Hanuman Chalisa
Devotional Songs
( मां केशर के लाल को कोटि कोटि प्रणाम,क्तो रा दुखड़ा दूर करे श्री राजेन्द्र सूरी है नाम। ) गु
तर्ज – हारे हारे हारेजैन धर्म हमे,प्राणों से भी प्यारा है,धर्मो में ये धर्म,बड़ा ही न्यारा है,अहिंसावादी, है ये पंथ हमार
मन मंदिर में बसा रखी है,गुरु तस्वीर सलोनी,रोम रोम में बसे है गुरुवर,विद्या सागर मुनिवर जी॥गुरुवर विद्या सागरजी है करुणा
देवनंदी गुरुदेव जय हो आचार्य प्रवर....-4शीला देवीजी की आँख के तारे मेरे गुरुवर,प्रेमचंद्रजीे के जो नन्दन, उनको वंदन,देवन
कुंडलपुर के बड़े बाबा की बड़ी निराली शान है,हो...यहाँ विराजे आदि प्रभु की प्रतिमा बड़ी विशाल है,यहाँ विराजे आदि प्रभु की
सजा दो घर को मंदिर सा,गुरु भगवान आये है,गुरु भगवान आये है,सजा दो घर को मंदिर सा,गुरु भगवान आये है॥पखारो इनके चरणों को,बह
तू ही है सबका दाता,तू महावीर कहलाता,जो ध्याये मन से तुमको,वो मन चाहा फल पाता,दर्शन तो हमें तुम दे देना,भक्ति से भर देना।
आओ जी आओ गुरुदेव,म्हारे आंगणा,भगत है आया बुलाने गुरूजी,आओ जी आओ गुरुदेंव,म्हारे आंगणा।।मेरे गुरुवर थे आ जाओ,आया हु पड़गा
दीक्षा दिवस हम सब गुरुवर का,मिलके आज मनाये,धारके संयम गुरु हमारे,मुनिवर मुद्रा है पाए,मुनिवर मुद्रा है पाए।।जय विशल्य सा
मेरे मन में गुरूवर आये,मन मेरा पावन हुआ,सुख ही सुख के बादल छाए,समता का सावन हुआ।।मेरे मन में गुरूवर आये।भटका रहा मैं भव-
मेरे मन में पारसनाथ,तेरे मन में पारसनाथ,रोम रोम में समाया पारसनाथ रे,रोम रोम में समाया पारसनाथ रे,मेरी साँसों में समाया
तर्ज - हारे हारे हारे तुम हारे के सहारेमेवानगर में पार्श्व प्रभु का द्वारा है,ऐसा लगता जमी पे स्वर्ग उतारा है,चारो ओर ही
चांदनपुर के गाँवों में बुला ले वीरा,मैं तो दर्शन करने आउंगी, मैं तो दर्शन करने आउंगी, तेरो वंदन करने आउंगी,चांदनपुर के ग
के अवसर आया है,पर्युषण आया है,करना क्षमा तुम जरूर,अरे ये मौका है धर्म का,अरे ये मौका है धर्म का,के अवसर आया है,पर्युषण आ
ये च बुधा अिती ताकये च बुधा अनागाता पचछुपनाचे ये बुद्धअहंग वंदामनि सब्बदाबुद्ध हि बुद्ध है, बुद्ध हि बुद्ध हैहर जगह ,
मेरी दुनिया तुम ही हो,दुनिया से क्या माँगू,जब बिन बोले मिलता,तो बोल के क्या माँगू।।धन दौलत क्या माँगू,मुस्कान ये दी तुमन
मेरी भक्ति तू मेरी शक्ति तू,में कुछ भी नही प्रभु सब कुछ तू,मेरे प्रभु है जिनवर है जिनवर,तेरी जय जय जय जय हो।पूजा भक्ति ह
झंडा फ़हराओ केसरिया,पारस जी को झूम झूम के,झंडा फ़हराओ रै केसरिया,पारस जी को झूम झूम के।शिखर में भव जल कलशा चढ़ाएं,भक्ति
ओम जय पारस देवा स्वामी जय पारस देवासुर नर मुनिजन तुम चरणन की करते नित सेवापौष वदी ग्यारस काशी में आनंद अतिभारी,अश्वसेन व
बरसा पारस सुख बरसा,आंगन आंगन सुख बरसाचुन चुन कांटे नफरत के,प्यार अमन के फूल खिला… बरसा पारस..द्वेष–भाव को मिटा,इस सकल सं
नाकोड़ा रा नाथ भेरूजी रुणझुण करता आओआओ भेरूजी आओ भेरूजी नाकोड़ा थी आओएक हाथ में त्रिशूलधारीडम डम डमरू बजाओदूजे हाथ में ख
अरे आवणो पडेला थोने आवणो पडेलाटाबरीयो रे बुलाया भैरूजी,थोने आवणो पडेला...अरे आबू री धणीयाणी माता,अर्बूदा माता आवो...अरे
शीश नवा अरिहंत को, सिद्धन करूँ प्रणाम ।उपाध्याय आचार्य का ले सुखकारी नाम। ।सर्व साधु और सरस्वती, जिन-मंदिर सुखकार ।अहिच्
जड़ चेतन जग महिमा छाजे,घंटा कर्ण महावीर गाजे,जड चेतन जग महिमा छाजे,मनवांछित पूरण कर नारा,भक्त जनो ना भय हर नारा,घंटाकर्ण
मैं तो तीरथ करने आई बाहुबली के चरणों में आई,मेरा बेड़ा लगा दो पार प्रभु जी आई हूं तेरे द्वार,आई है गुड़िया दर के लायी है
हरपल दर्शन री आस टूट्या कर्मारा बन्धन है,थाने देख्या लागे आज घुल ग्या केसर चन्दन है ये किरपा री निजरां आ ममता री छाया,गु
स्थापना दिवस भैरव देव का,प्रतिस्ठा दिन है भैरव देव काशुभ दिन ये बना त्योहार ,नाकोंडा भेरू देव का स्थापना दिवस भैरव देव
मन मेरा तेरे बिन कहीं लगता नहींकोई तेरे सिवा मेरी सुनता नहींभूल ऐसी भी ये मुझसे क्या हो गईदर पे दादा क्यों मुझको बुलाता
जिसने राग-द्वेष कामादिक,जीते सब जग जान लियासब जीवों को मोक्ष मार्ग का,निस्पृह हो उपदेश दिया,बुद्ध, वीर जिन, हरि,हर ब्रह्
तर्ज - म्हारा खाटु का राजा रे .... तेरा ध्यान हम तो धरे,गुरुवर दिल से याद करे,म्हा