Hanuman Chalisa
Tune into Devotional Melodies
Contemporary Devotional Music: A Harmony of Praise and Devotion
ईश्वर भक्ति
अभिलाषाएं मन की उनकी होती हैं पूर्ण,ईश्वर भक्ति में जीवन जो लगा देते हैं सम्पूर्ण,आधि व्याधि आमर्ष सब कष्टों संतापो का स
हरि नाम नहीं तो जीना क्या (maithali thakur)
हरि नाम नहीं तो जीना क्या,अमृत है हरि नाम जगत में,इसे छोड़ विषय विष पीना क्या…..काल सदा अपने रस डोले,ना जाने कब सर चढ़ ब
तेरी काया निर्मल हो जाएगी
तेरी काया निर्मल हो जाएगी तू कर ले व्रत ग्यारस का,तू कर ले व्रत ग्यारस का तू कर ले भजन हरि का,तेरी काया निर्मल हो जाएगी
श्रीमन नारायण नारायण हरी हरी
श्रीमन नारायण,,, जय जय नारायण,,, स्वामी नारायण,,,श्रीमन नारायण नारायण हरी हरी lजय जय नारायण नारायण हरी हरी lस्वामी नाराय
साँझ सवेरे हरी हरी बोल
हरी बोल हरी बोल हरी हरी बोल,हरी बोल हरी बोल हरी हरी बोल, साँझ सवेरे हरी हरी बोल,साँझ सवेरे हरी हरी बोल.... एक प्रभु के अ
मन करता है आने को
दर पे तेरे भगवन,मन करता है आने को,चरणों में तेरे झुक कर,कुछ अपनी सुनाने को,दर पे तेरे भगवन...पर किस विध आऊं मैं,पड़ा हूं
किया ना तूने हरि से प्यार
किया ना तूने हरि से प्यार,सारा जीवन दिया यूंही गुजार,तूने की बड़ी नादानी है,नादान तेरी यही कहानी है,मानव तन ना पाएगा दोब
मैया दिल में धीरज बांधो मोहे कछु ना होयगो
मैया दिल में धीरज बांधो मोहे कछु ना होवेगो, कछु ना होवेगो मोहे कछु ना होवेगो,मैया दिल में धीरज बांधो मोहे कछु ना होवेगो.
भोग रखा रहा फूल मुरझा गए
आप आए नहीं और सुबह हो गई,मेरी पूजा की थाली धरी रह गई,भोग रखा रहा फूल मुरझा गए,आरती भी धरी की धरी रह गई.....मुझसे रूठे हो
बंगला अजब बना महाराज
बंगला अजब बना महाराज जिसमें नारायण बोले,नारायण बोले यामें नारायण बोले,बंगला अजब बना महाराज जिसमें नारायण बोले॥पांच तत्वो
समराथल पे हुकुम चले
समराथल पे हुकुम चले एक भागवा धारी का,हर भक्त दीवाना है विष्णु अवतारी का,मात है हंसा जिनकी, पिता है लोहट जिनके,गांव पीपास
जय तिरुपति बालाजी
जय तिरुपति बालाजी,जय तिरुपति बालाजी,जय जय वेंकट स्वामी,तुम हो अंतर्यामी,जय श्री नाथ हरी,जय तिरुपति बालाजी,जय तिरुपति बाल
राम नाम रटते रहो
( राम नाम रटते रहो,जब तक घट में प्राण,कभी तो दीनदयाल के भनक पड़ेगी कान। )नाम हरी का जप ले बन्दे फिर पीछे पछतायेगा,नाम हर
हरि नारायण तू बोल
मन हरि हरि बोल ,हरि नारायण तू बोल,मन हरि हरि बोल,हरि नारायण तू बोल॥छोड़ के सारे जग के बंधन,नाम हरि का जप ले,नाम हरि का ज
श्री मन नारायण नारायण हरि हरि
श्री मन नारायण नारायण हरि हरि,श्री मन नारायण नारायण हरि हरि,तेरी लीला सबसे न्यारी न्यारी हरि हरि,तेरी लीला सबसे न्यारी न
हरि का नाम अमृत है
हरि का नाम अमृत है हमें पीना नहीं आता,हमें पीना नहीं आता हमें पीना नहीं आता,हरि का नाम अमृत है....मानुष अनमोल चोले को तर
जाने कहां गए भगवान
जाने कहां गए भगवान लक्ष्मी फूट-फूट के रोई,लक्ष्मी फूट-फूट के रोई, लक्ष्मी फूट-फूट के रोई,जाने कहां गए भगवान लक्ष्मी फूट-
गुरु बृहस्पति चालीसा
||दोहा||प्रन्वाऊ प्रथम गुरु चरण, बुद्धि ज्ञान गुन खानश्रीगणेश शारदसहित, बसों ह्रदय में आनअज्ञानी मति मंद मैं, हैं गुरुस्
रट ले हरि का नाम रे प्राणी
रट ले हरि का नाम रे,प्राणी रट ले हरि का नाम,सब छोड़ दे उल्टे काम रे,प्राणी छोड़ दे उल्टे काम रे, बैरी रट ले हरि का नाम..
स्वामी नारायण नारायण हरे हरे
( तीन लोक के स्वामी श्री हरी नारायण भगवान,भक्ति भाव से सुमिरन कर लो,भक्ति भाव से सुमिरन कर लो हरी जी करे कल्याण। )नारायण
प्रभु का सहारा
मेरे जीवन की एक वक्त के सत्य घटना को साझा करता ये गीत -सहारे अब सभी छूटे ना कोई काम आया है,पकड़कर प्रभु तेरा दामन तुझे अ
लक्ष्मी नाथ माने प्यारो लागे
लक्ष्मी नाथ माने , प्यारो लागे,चार भुजा रो नाथ,,,\'म्हारो, चित चरणों में राख xll\'-llमोर मुकट, सिर छत्र विराजे*, कानों म
मान्ने रंग दो नाथ थोरे रंग में
मान्ने रंग दो नाथ, थोरे रंग में xll-ll^हो म्हारा, ठाकुर लक्ष्मी रे नाथ, म्हारे, सिर पर राखो हाथ lमेरी नाथ* वसो, म्हारे म
तूने किया ना हरि से प्यार
तूने किया ना हरि से प्यार,सारा जीवन दीन्हा गुज़ार,तेरी ये नादानी है ओ रे मनुआ,तेरी ये कहानी है ओ रे मनुआ॥तुमने पाया जो त
हे विष्णु भगवान तुम्हारा ध्यान
हे विष्णु भगवान तुम्हारा ध्यान करें कल्याण,जगत के तुम हो पालनहार करूँ मैं तुमको बारंबार,हे विष्णु भगवान तुम्हारा ध्यान क
तेरा संकट सारा हर लेंगे
तेरा संकट सारा हर लेंगे,तू नाम हरि का जपले,तेरा संकट सारा हर लेंगे,तू नाम हरि का जपले,तू नाम हरि का जपले,तू नाम प्रभु का
नर में है नारायण
काशी घुम ले मथुरा घुम ले,घुम ले चाहे वन वन...-2नर में है नारायण बंदे नर में है नारायण ओ नर में है नारायण बंदे नर में है
जय जय श्री बदरीनाथ आरती
जय जय श्री बदरीनाथ, जयति योग ध्यानी।निर्गुण सगुण स्वरूप, मेघवर्ण अति अनूप,सेवत चरण सुरभूप, ज्ञानी विज्ञानी। जय जय...झलकत
इक ठौर चाहिये
थक गया हूँ चलते चलतेइक ठौर चाहिये। तेरे चरणों के सिवायठिकाना ना और चाहिये। भटक रहा है मन डगर है बहुत अँधेरीराह दिखाये ऐस
रचाई श्रृष्टि को जिस प्रभु ने वही ये श्रृष्टि चला रहे है
रचाई श्रृष्टि को जिस प्रभु ने वही ये श्रृष्टि चला रहे है ज पेड़ हमने लगाया पेहले उसी का फल हम अब पा रहे है रचाई श्रृष्टि