Hanuman Chalisa
Tune into Devotional Melodies
Contemporary Devotional Music: A Harmony of Praise and Devotion
श्री हरि को बसाना है
श्रद्धा से हमने श्री हरि यश को गाना हैहरि नाम की महिमा को जग ने माना हैप्रभु नाम की ज्योति से जग उजियारा हैसूरज चंदा तार
रोटी खा ले ठाकरा
हथ जोड़ के बेह गया हूँ मैं बस एह अरदासा करदा रोटी खा लै ठाकुरा वे मियन मिनता तेरिया करदा सजर सुई गाऊ लवेरी,तेरे बदले दे
हर रूप में रंग में ढंग में तू
हर रूप रंग में ढंग में तूँनहरों नदियों में तरंग में तूँ,है परम् पिता जगदीश हरेप्रभु प्रेम उमंग में तूँ ही तूँ,तूँ बनकर स
आएगा जब रे बुलाबा हरि का
आएगा जब रे बुलावा हरी काछोड़ के सब कुछ जाना पड़ेगानाम हरी का साथ जायेगाऔर तू कुछ ना ले पायेगाआएगा जब रे बुलावा हरी काछोड
नाम हरि का जपले बन्दे फिर पीछे पछतायेगा
नाम हरी का जप ले बन्दे फिर पीछे पछतायेगा तू कहता है मेरी काया काया का घुमान क्या,चाँद सा सुन्दर यह तन तेरे मिटटी में मिल
जगदीश ज्ञानदाता सुख मूल
जगदीश ज्ञानदाता सुख-मूल, शोक-हारी,भगवान तुम सदा हो निष्पक्ष न्यायकारी,सब काल सर्वज्ञाता सविता पिता विधाता,सबमें रमे हुए
कर न फकीरी फिर क्या दिलगिरी
करना फकीरी फिर क्या दिलगिरीसदा मगन में रेहना जीकोई दिन हाथी ने कोई दिन घोड़ाकोई दिन पैदल चलना जीकरना फकीरी फिर क्या दिलग
मेरा छोटा सा संसार
मेरा छोटा सा संसार, हरि आ जाओ एक बार ll*हरि आ जाओ, प्रभु आ जाओ l*मेरी नईया, पार लगा जाओ l*मेरी बिगड़ी, आ के बना जाओ lभक्
भज ले हरी को
धुन- परदेसियों से न अख्खियाँ भजले हरी को, एक दिन तो है जाना ll,जीवन को यदि, सफल बनाना, भज ले हरी को,,,,,,,,,,,,,,,किस का
हरी नाम की माला जप ले
हरी नाम की माला जप ले ll,\"पल की खबर नही,,ओ, xll\"अन्तरघट मन को मथ ले,\"पल की खबर नही,,ओ, xll\" हरी नाम की माला,,,,,,,,,
भजन करो भक्तों हरि विष्णु का
एक हाथ में चक्क्र सुदर्शन, दूजे में गदा विराजे,करे शेष नाग की सवारी, श्री सागर आसन लागे ll,, *पूजन करो भक्तों,,, ll, हरि
खा लै ठाकरा वे
गन्दला दा साग रोटी मक्की दी बनाई आ,खा लै ठाकरा वे ऐनी देर क्यों लगाई आ मखनी दा पेडा लस्सी छने विच पाई आ खा लै ठाकरा वे ऐ
बाजरे दा ढोडा
बाजरे दा ढोडा धने हथा ते पका लेया बाजरे दा ढोडा धने हरी दा दर्शन भगतो पथरा च पा लिया बाजरे दा ढोडा इक दिन बेह के प्रेम प
जिनके हाथों मे सुदर्शन चक्र रहे
जिनके हाथों में सुदर्शन चक्र रहे, जिनके अधरों पे मुस्कान बिखरी रहे वो हैं मन भावन श्री मन नारायण,नारायण भक्तों के कष्ट
ऐसा है मेरे श्री हरि का नाम
ऐसा है मेरे श्री हरि का नाम ,कैसे उनका करूँ गुणगान, बाकी कोई न करुणानिधान .ऐसा है मेरे.....निष्छल भक्ति तेरी हरदम होती ह
बंगला खूब बना गुलजार
बंगला खूब बना गुलजार इस में नारायण बोले इस में नारायण बोले इस में नारायाण डोले बंगला खूब बना गुलजार इस में नारायण बोले
हरि तुम बहुत अनुग्रह कीन्हों
हरि तुम बहुत अनुग्रह कीन्होंसाधन धाम बिबुध दुर्लभ तनु मोहि कृपा कर दीन्हों कोटिहुँ मुख कह जात न प्रभु के एक-एक उपकार तदप
श्री मन नारायण
श्री मन नारायण, भज मन नारायण ll*हरि, नारायण नारायण नारायण ll*लक्ष्मी, नारायण नारायण नारायण ll श्री मन नारायण, भज मन नारा
नारायण जाप
श्रीमन नारायण नारायण नारायणलख चौरासी घूम के तूने ये मानव तन पाया,रहा भटकता माया में तूने कभी न हरी गुण गाया,भज ले नारायण
मन तो तेरा ही भजन करे
मन तो तेरा ही भजन करे हीरे गुरुदेव सांवरिया मेरेगुरुदेव सांवरिया मेरे घनश्याम सांवरिया मेरे,एक बाग मैंने ऐसा देखा नहीं फ
ब्रह्मानंद गिरी जी की आरती
जय ब्रह्मानन्द गिरी जी, स्वामी जय ब्रह्मानन्द गिरी जी ,निज भक्तन के तुमने, पूर्ण कारज करे ,जय ब्रह्मानन्द गिरी जी, स्वाम
समराथल वाले करियो विग्न सब दूर
समराथल वाले करियो विग्न सब दूर पींपासर मे आप विराजे,समराथल थारो आसन साजे ढोल नगाङा नोपत बाजे मुख पर बरसत नूरविष्णु जी के
थारो जनम सफल कर लीजो रे
थारो जनम सफल कर लीजो रे, सतसंग मेसत संगत मे सतगुरू आवे,धर्म कर्म की बात बतावेहिरदे धारण कर लीजो रे सतसंग मेसुगरा री तु स
थारो जनम बरबाद मत कीजो
थारो जनम बरबाद मत कीजो रे, कु संग मे कु संगत मे कु मति आवे,कु मति तुमको कु कर्म करावे निरख निर्माण मत कीजो रेजैसा ही तु
नारायण धुन-श्रीमन नारायण नारायण
श्रीमन नारायण नारायण नारायण लख चौरासी, भोग के तूने, यह मानव तन पाया llरहा भटकता, माया में तूने, कभी न हरि गुण गाया, भज ल
कर ले प्रभु से प्यार
कर ले प्रभु से प्यार,नही पछताएगा,झूठा है संसार, धोखा खाएगा ,माया के जितने धन्धे,सब झूठे है बंदे,उनके तन उजले मन गंदे,अँख
मात पिता सुत नारी
मात-पिता सुत नारी,ओर इस झूठी दुनिया दारी कोछोङ कर के एक जाना,होगा की नही क्यो भूले जीवन के राही,दूर कही तेरी मंजिल सजी ध
थे तो जाम्भा जी म्हारे
थे तो जाम्भा जी म्हारे,घणा मन भावणा,भक्त बुलावे थाने,आया सरसी ,थे तो गुरू जी म्हारे,हिवङे रा चानणादर्शन री प्यास बुझाया
मिनख जमारो मिल्यो जग माही
मिनख जमारो मिल्यो जग मांही,ओर भळे कांई चावे तूं,लख चोरासी भटकत-भटकत,जूण अनेको भुगत्यो तूं,मानव तन अनमोल रतन धन,विरथा मत
कहे शास्त्र वेद पुराण
कहे शास्त्र वेद पुराण,महिमा सतसंग कीकरे ऋषि मुनी गुण गान,महिमा सतसंग की सत संग है भव सागर नोका पार करण का यही है मोका अव