Hanuman Chalisa
Tune into Devotional Melodies
Contemporary Devotional Music: A Harmony of Praise and Devotion
दादा अरदास लगाई
मने अरदास लगाई, पूरी करो जी दादा देव,पूरी दादा देव, करो जी पूरी दादा देव,मने अरदास लगाई, पूरी करो जी दादा देव.......कहते
मन सागर दरियाव है
मन सागर दरियाव है, उड़े रंग फुहारा,सुफल बाग़ मनरंग है, फूली रया फुलवारा,मन सागर दरियाव है.............ब्रह्म निज बीज बोइ
ॐ पितु माताय नमः
ॐ पितु माताय नमः ॐ श्री गुरुवे नमः ॐ श्री माँ धराय नमः ॐ गं गणपतये नमः गुरु ब्रम्हा, गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा, गु
जो प्रेम गली में आया नहीं
जो प्रेम गली में आया नहीं,प्रियतम का ठिकाना क्या जाने,जिसने कभी प्रेम किया ही नहीं,वो प्रेम निभाना क्या जानें,जो प्रेम ग
करले भजन भगवान का
उठ कर ले भजन भगवान का, तेरे जीवन का तो यही सार है,बिना बंदगी भजन भगवान के, तेरा जीवन यूं ही बेकार है,उठ कर ले भजन भगवान
माएँ पा फकरां नू दाने
माएँ पा फकरां नू दाने, रब तैनू राम देयुगा,राम देयुगा, तैनू राम देयुगा,माएँ पा फकरां नू दाने, रब तैनू राम देयुगा..... होर
ना पहले आली हवा रही ना पहले आला पानी
ना पहले आली हवा रही ना पहले आला पानी,होगी ख़त्म कहानी ना मिलती कोई चीज पुराणी.....पहले आले कोई ईब ठाट ना रहेजोहड़ उपर न
मर्जी है भगवान् की
प्यारे ये तकदीर है, और मर्जी है भगवान् की,भोग करम का भोगणा, फितरत है इंसान की,प्यारे ये तकदीर है, और मर्जी है भगवान् की,
छोटे छोटे बालक बना दिए री तीनों देव सती ने
छोटे छोटे बालक बना दिए री तीनों देव सती ने...ठुमक ठुमक अंगना में खेलें मधुर तोतली बोली बोलें,मैया ने पालना झुला दिए री त
चामड़ा की पुतली भजन करले
भजन करले भजन करले,चामड़ा की पुतली भजन करले.....चामड़ा का हाथी घोड़ा चामड़ा का ऊंट,चामड़ा की नौबत बाजे, भाजे चारय खुट,भजन
ढूंढे क्यों मुझे मंदिर जाकर
ढूंढे क्यों मुझे मंदिर मंदिर जाकर ,बोले ये भगवान,कण कण में हूं मैं समाया रे मानव,जान सके तो जान,कण कण में हूं मैं समाया
भजन की नहीं विचारी रे
भजन की नहीं विचारी रे महरा मनवा नहीं विचारी रे,थारी म्हारी करते बीती उमर सारी रे...... नो दस मास गरभ मे राख्यों माता थार
नर्मदे हर हर कहो एक बार
नर्मदे हर हर कहो एक बार....नर्मदे हर हर कहो एक बार, हो जायेगा, भव-सागर पार,माँ भक्ति की शक्ति देती, पाप कर्म से मुक्ति द
तेरे सिर पर गठरी पाप की
तेरे सिर पर गठरी पाप की, तेरे लगी भरम की भूल, भक्ति कर भगवान की......भाई हरि भजन कर बावरे, लगा मनुष्य जन्म का दाव रे,काय
दौड़ा जाए रे समय का घोड़ा
राम नाम से तूने बन्दे क्यूँ अपना मुख मोड़ा,दौड़ा जाए रे समय का घोड़ा......इक दिन बीता खेलकूद में, इक दिन मौज में सोया,दे
भजन करो जिंदगानी में
सारी दुनिया पानी में भजन करो जिंदगानी में....राम लखन दशरथ के बेटा,वन भेजे महतारी में भजन करो जिंदगानी में.....श्री राम ज
कलयुग आ गयो घोर
बहना मेरी कलयुग आ गयो घोर,धर्म धरती में समाए गयो रे.....जो कहीं आ जाए बहुओं का भैया,जल्दी से वह धरै कढईया,बहना मेरी भांज
निर्मल निर्मल पानी माई रेवा तुम्हरो
निर्मल निर्मल पानी माई रेवा तुम्हारो,भूखे को दे भोजन मैया, प्यासे को दे पानी माई रेवा तुम्हारो..... अमरकंठ वाली माई को न
अजमत भारी अजमत भारी सिंगाजी
अजमत भारी अजमत भारी क्या कहूं रे सिंगाजी तुम्हारी.....पिपराड़ नदी जहाँ बहे बालगंगा,जहाँ बिन ऋतू केरिया लागी अजमत भारी क्
भगवान की शरण में जिसका निवास होगा
भगवान की शरण में, जिसका निवास होगा,गुरु की शरण में जिसका निवास होगा,जग में कभी न उसका चेहरा उदास होगा,भगवान की....प्रभु
परम पिता के श्री चरणों मे
परमपिता के श्री चरणों में प्रणवत बारम्बार.....(मेरा फले-फुले परिवार मेरा फले-फुले परिवार !) बेटा मेरा मित्र के जैसा, हर
ढोल बजाओ बजाओ नगाड़ा
चूरू नगरीया देखो छाई है खुशिया भारी,जन्म लिया श्री बाबोसा ने झूमे नर ओर नारी,पन्ना नाम धराया.. हो,पन्ना नाम धराया वो लाग
जोड़ी बने विशाल
जोड़ी बने विशाल राधेश्याम सीताराम,राधेश्याम सीताराम राधेश्याम सीताराम….पहली जोड़ी चांद सूरज की,चांद सूरज की चांद सूरज की
अपने सूर्य स्वयं बन जाओ
अपने सूर्य स्वयं बन जाओ,बुझ न सके वो चिराग़ जलाओ, अपने सूर्य.....तुम हो दिव्य शक्ति के स्वामी,बनो अग्रणी नहीं अनुगामी,अप
जय हो जय हो तुम्हारी पितर देवता
जय हो जय हो तुम्हारी पितर देवता,मेरे सर पे सदा तेरा हाथ रहे,मेरे ब्रम्हा तुम्ही मेरे विष्णु तुम्ही,तुम हो शंकर मेरे तेरा
वेणु विनोद कुंज वृन्दावन संध्या आरती
संध्या आरती करति सहेली,श्यामा श्याम गुण गर्व सहेली ।।निरखि निरखि छवि नैन नवेली,अंग अंग रंगरलि अलबेली ।।सोहत उर चौवत चंबे
परमपूज्य श्री बालकृष्ण दास जी महाराज 'प्रातः कालीन आरती'
जय अलि व्रज रस सिन्धु विहारिणि । जन जन के त्रय ताप निवारिणि ।।श्यामचन्द्र की नित्य चकोरी, महाभाव की अद्भुत लहरी । वेणु क
परमपूज्य श्री बालकृष्ण दास जी स्तुति
सरसिज मधुरास्यं पञ्चकेशाभिकाश्य\'अलि\' - ललितमुपास्यं शीतलं नन्दहास्यम् । प्रियतम - रति-रासे वेणु कुञ्जाधिवासे मधुर-रस-
माँ रात को सपने में श्री बाबोसा आये
तर्ज - कव्वाली माँ रात को सपने में श्री बाबोसा आये,फिर प्यार से वो सर पे मेरे हाथ घुमाये,माँ रात को सपने में......कल रा
घर में भूखी बैठी मात बाहर लंगर लगावे रे
घर में भूखी बैठी मात बाहर लंगर लगावे रे,बाहर लंगर लगावे रे बाहर भंडारे करावे रे,घर में भूखी बैठी मात.....चार चार मैंने ब