The official logo for the brand - Spiritual Hindu

Spiritual Hindu

DeitiesTemplesDaily PanchangAartiBhajansChalisaAbout UsContact Us

सुंदरकाण्ड पाठ | In Hindi

Video
Audio
Lyrics
Language:
Hindi
Icon for share on facebookIcon for share on twitterIcon for share on pinterestIcon for share on whatsapp
Icon for copy
जामवंत के बचन सुहाए।
सुनि हनुमंत हृदय अति भाए॥
तब लगि मोहि परिखेहु तुम्ह भाई।
सहि दुख कंद मूल फल खाई॥

जाम्बवान के सुहावने वचन सुनकर हनुमानजी को अपने मन में वे वचन बहुत अच्छे लगे॥
और हनुमानजी ने कहा की हे भाइयो! आप लोग कन्द, मूल व फल खा, दुःख सह कर मेरी राह देखना॥

जय सियाराम जय जय सियाराम

जब लगि आवौं सीतहि देखी।
होइहि काजु मोहि हरष बिसेषी॥
यह कहि नाइ सबन्हि कहुँ माथा।
चलेउ हरषि हियँ धरि रघुनाथा॥

जबतक मै सीताजीको देखकर लौट न आऊँ, क्योंकि कार्य सिद्ध होने पर मन को बड़ा हर्ष होगा॥
ऐसे कह, सबको नमस्कार करके, रामचन्द्रजी का ह्रदय में ध्यान धरकर, प्रसन्न होकर हनुमानजी लंका जाने के लिए चले॥

जय सियाराम जय जय सियाराम

सिंधु तीर एक भूधर सुंदर।
कौतुक कूदि चढ़ेउ ता ऊपर॥
बार-बार रघुबीर सँभारी।
तरकेउ पवनतनय बल भारी॥

समुद्र के तीर पर एक सुन्दर पहाड़ था। उसपर कूदकर हनुमानजी कौतुकी से चढ़ गए॥
फिर वारंवार रामचन्द्रजी का स्मरण करके, बड़े पराक्रम के साथ हनुमानजी ने गर्जना की॥

जय सियाराम जय जय सियाराम

जेहिं गिरि चरन देइ हनुमंता।
चलेउ सो गा पाताल तुरंता॥
जिमि अमोघ रघुपति कर बाना।
एही भाँति चलेउ हनुमाना॥

जिस पहाड़ पर हनुमानजी ने पाँव रखे थे, वह पहाड़ तुरंत पाताल के अन्दर चला गया॥
और जैसे श्रीरामचंद्रजी का अमोघ बाण जाता है, ऐसे हनुमानजी वहा से चले॥

जय सियाराम जय जय सियाराम

जलनिधि रघुपति दूत बिचारी।
तैं मैनाक होहि श्रम हारी॥

समुद्र ने हनुमानजी को श्रीराम(रघुनाथ) का दूत जानकर मैनाक नाम पर्वत से कहा की हे मैनाक, तू जा, और इनको ठहरा कर श्रम मिटानेवाला हो॥

जय सियाराम जय जय सियाराम

मैनाक पर्वत की हनुमानजी से विनतीसोरठा – Sunderkand

सिन्धुवचन सुनी कान, तुरत उठेउ मैनाक तब।
कपिकहँ कीन्ह प्रणाम, बार बार कर जोरिकै॥

समुद्रके वचन कानो में पड़तेही मैनाक पर्वत वहांसे तुरंत उठा और हनुमानजीके पास आकर वारंवार हाथ जोड़कर उसने हनुमानजीको प्रणाम किया॥

जय सियाराम जय जय सियाराम

दोहा (Doha – Sunderkand)

हनूमान तेहि परसा कर पुनि कीन्ह प्रनाम।
राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहाँ बिश्राम ॥1॥

हनुमानजी ने उसको अपने हाथसे छूकर फिर उसको प्रणाम किया, और कहा की, रामचन्द्रजीका का कार्य किये बिना मुझको विश्राम कहा है? ॥1॥

जय सियाराम जय जय सियाराम

_

हनुमानजीकी सुरसा से भेंटचौपाई (Chaupai – Sunderkand)

जात पवनसुत देवन्ह देखा।
जानैं कहुँ बल बुद्धि बिसेषा॥
सुरसा नाम अहिन्ह कै माता।
पठइन्हि आइ कही तेहिं बाता॥

हनुमानजी को जाते देखकर उसके बल और बुद्धि के वैभव कोजानने के लिए देवताओं ने नाग माता सुरसा को भेजा।
उस नागमाताने आकर हनुमानजीसे यह बात कही॥

जय सियाराम जय जय सियाराम

आजु सुरन्ह मोहि दीन्ह अहारा।
सुनत बचन कह पवनकुमारा॥
राम काजु करि फिरि मैं आवौं।
सीता कइ सुधि प्रभुहि सुनावौं॥

आज तो मुझको देवताओं ने यह अच्छा आहार दिया। यह बात सुन हँस कर, हनुमानजी बोले॥
– मैं रामचन्द्रजी का काम करके लौट आऊ और सीताजी की खबर रामचन्द्रजी को सुना दूं॥

जय सियाराम जय जय सियाराम

तब तव बदन पैठिहउँ आई।
सत्य कहउँ मोहि जान दे माई॥
कवनेहुँ जतन देइ नहिं जाना।
ग्रससि न मोहि कहेउ हनुमाना॥

फिर हे माता! मै आकर आपके मुँह में प्रवेश करूंगा। अभी तू मुझे जाने दे। इसमें कुछभी फर्क नहीं पड़ेगा। मै तुझे सत्य कहता हूँ॥
जब उसने किसी उपायसे उनको जाने नहीं दिया, तब हनुमानजी ने कहा कि तू क्यों देरी करती है? तू मुझको नही खा सकती॥

जय सियाराम जय जय सियाराम

जोजन भरि तेहिं बदनु पसारा।
कपि तनु कीन्ह दुगुन बिस्तारा॥
सोरह जोजन मुख तेहिं ठयऊ।
तुरत पवनसुत बत्तिस भयऊ॥

सुरसाने अपना मुंह एक योजनभरमें फैलाया। हनुमानजी ने अपना शरीर दो योजन विस्तारवालाकिया॥
सुरसा ने अपना मुँह सोलह (१६) योजनमें फैलाया। हनुमानजीने अपना शरीर तुरंत बत्तीस (३२) योजन बड़ा किया॥

जय सियाराम जय जय सियाराम

जस जस सुरसा बदनु बढ़ावा।
तासु दून कपि रूप देखावा॥
सत जोजन तेहिं आनन कीन्हा।
अति लघु रूप पवनसुत लीन्हा॥

सुरसा ने जैसा जैसा मुंह फैलाया,हनुमानजीने वैसेही अपना स्वरुप उससे दुगना दिखाया॥
जब सुरसा ने अपना मुंह सौ योजन (चार सौ कोस का) में फैलाया, तब हनुमानजी तुरंत बहुत छोटा स्वरुप धारण कर॥

जय सियाराम जय जय सियाराम

बदन पइठि पुनि बाहेर आवा।
मागा बिदा ताहि सिरु नावा॥
मोहि सुरन्ह जेहि लागि पठावा।
बुधि बल मरमु तोर मैं पावा॥

उसके मुंहमें पैठ कर (घुसकर) झट बाहर चले आए। फिर सुरसा से विदा मांग कर हनुमानजी ने प्रणाम किया॥
उस वक़्त सुरसा ने हनुमानजी से कहा की हे हनुमान! देवताओंने मुझको जिसके लिए भेजा था, वह तेरा बल और बुद्धि का भेद मैंनेअच्छी तरह पा लिया है॥

जय सियाराम जय जय सियाराम

दोहा (Doha – Sunderkand)

राम काजु सबु करिहहु तुम्ह बल बुद्धि निधान।
आसिष देइ गई सो हरषि चलेउ हनुमान ॥2॥

तुम बल और बुद्धि के भण्डार हो, सो श्रीरामचंद्रजी के सब कार्य सिद्ध करोगे। ऐसे आशीर्वाद देकर सुरसा तो अपने घर को चली, और हनुमानजी प्रसन्न होकर लंकाकी ओर चले ॥2॥

जय सियाराम जय जय सियाराम

हनुमानजी की छाया पकड़ने वाले राक्षस से भेंटचौपाई

निसिचरि एक सिंधु महुँ रहई।
करि माया नभु के खग गहई॥
जीव जंतु जे गगन उड़ाहीं।
जल बिलोकि तिन्ह कै परिछाहीं॥

समुद्र के अन्दर एक राक्षस रहता था। सो वह माया करके आकाशचारी पक्षी और जंतुओको पकड़ लिया करता था॥
जो जीवजन्तु आकाश में उड़करजाता, उसकी परछाई जल में देखकर, परछाई को जल में पकड़ लेता॥

जय सियाराम जय जय सियाराम

गहइ छाहँ सक सो न उड़ाई।
एहि बिधि सदा गगनचर खाई॥
सोइ छल हनूमान कहँ कीन्हा।
तासु कपटु कपि तुरतहिं चीन्हा॥

परछाई को जल में पकड़ लेता, जिससे वह जिव जंतु फिर वहा से सरक नहीं सकता। इसतरह वह हमेशा आकाशचारी जिवजन्तुओ को खाया करता था॥
उसने वही कपट हनुमानसे किया। हनुमान ने उसका वह छल तुरंत पहचान लिया॥

जय सियाराम जय जय सियाराम

ताहि मारि मारुतसुत बीरा।
बारिधि पार गयउ मतिधीरा॥
तहाँ जाइ देखी बन सोभा।
गुंजत चंचरीक मधु लोभा॥

धीर बुद्धिवाले पवनपुत्र वीर हनुमानजी उसे मारकर समुद्र के पार उतर गए॥
वहा जाकर हनुमानजी वन की शोभा देखते है कि भ्रमर मकरंद के लोभसे गुँजाहट कर रहे है॥

जय सियाराम जय जय सियाराम

हनुमानजी लंका पहुंचे

नाना तरु फल फूल सुहाए।
खग मृग बृंद देखि मन भाए॥
सैल बिसाल देखि एक आगें।
ता पर धाइ चढ़ेउ भय त्यागें॥

अनेक प्रकार के वृक्ष फल और फूलोसे शोभायमान हो रहे है। पक्षी और हिरणोंका झुंड देखकर मन मोहित हुआ जाता है॥
वहा सामने हनुमान एक बड़ा विशाल पर्वत देखकर निर्भय होकर उस पहाड़पर कूदकर चढ़ बैठे॥

जय सियाराम जय जय सियाराम

उमा न कछु कपि कै अधिकाई।
प्रभु प्रताप जो कालहि खाई॥
गिरि पर चढ़ि लंका तेहिं देखी।
कहि न जाइ अति दुर्ग बिसेषी॥

महदेव जी कहते है कि हे पार्वती! इसमें हनुमान की कुछ भी अधिकता नहीं है। यह तो केवल एक रामचन्द्रजीके ही प्रताप का प्रभाव है कि जो कालकोभी खा जाता है॥
पर्वत पर चढ़कर हनुमानजी नेलंका को देखा, तो वह ऐसी बड़ी दुर्गम है की जिसके विषय में कुछ कहा नहीं जा सकता॥

जय सियाराम जय जय सियाराम

अति उतंग जलनिधि चहु पासा।
कनक कोट कर परम प्रकासा॥

पहले तो वह पुरी बहुत ऊँची,फिर उसके चारो ओर समुद्र की खाई।
उसपर भी सुवर्णके कोटका महाप्रकाश कि जिससे नेत्रचकाचौंध हो जावे॥

जय सियाराम जय जय सियाराम

लंका का वर्णनछंद

कनक कोटि बिचित्र मनि कृत सुंदरायतना घना।
चउहट्ट हट्ट सुबट्ट बीथीं चारु पुर बहु बिधि बना॥
गज बाजि खच्चर निकर पदचर रथ बरूथन्हि को गनै।
बहुरूप निसिचर जूथ अतिबल सेन बरनत नहिं बनै॥

उस नगरीका रत्नों से जड़ा हुआ सुवर्ण का कोट अतिव सुन्दर बना हुआ है। चौहटे, दुकाने व सुन्दर गलियों के बहार उस सुन्दर नगरीके अन्दर बनी है॥
जहा हाथी, घोड़े, खच्चर, पैदल व रथोकी गिनती कोई नहीं कर सकता। और जहा महाबली अद्भुत रूपवाले राक्षसोके सेनाके झुंड इतने है की जिसका वर्णन किया नहीं जा सकता॥

जय सियाराम जय जय सियाराम

बन बाग उपबन बाटिका सर कूप बापीं सोहहीं।
नर नाग सुर गंधर्ब कन्या रूप मुनि मन मोहहीं॥
कहुँ माल देह बिसाल सैल समान अतिबल गर्जहीं।
नाना अखारेन्ह भिरहिं बहुबिधि एक एकन्ह तर्जहीं॥

जहा वन, बाग़, बागीचे, बावडिया, तालाब, कुएँ, बावलिया शोभायमान हो रही है। जहां मनुष्यकन्या, नागकन्या, देवकन्या और गन्धर्वकन्याये विराजमान हो रही है – जिनका रूप देखकर मुनिलोगोका मन मोहित हुआ जाता है॥
कही पर्वत के समान बड़े विशाल देहवाले महाबलिष्ट मल्ल गर्जनाकरते है और अनेक अखाड़ों में अनेक प्रकारसे भिड रहे है और एक एकको आपस में पटक पटक कर गर्जना कर रहे है॥

जय सियाराम जय जय सियाराम

करि जतन भट कोटिन्ह बिकट तन नगर चहुँ दिसि रच्छहीं।
कहुँ महिष मानुष धेनु खर अज खल निसाचर भच्छहीं॥
एहि लागि तुलसीदास इन्ह की कथा कछु एक है कही।
रघुबीर सर तीरथ सरीरन्हि त्यागि गति पैहहिं सही॥

जहा कही विकट शरीर वाले करोडो भट चारो तरफसे नगरकी रक्षा करते है और कही वे राक्षस लोग भैंसे, मनुष्य, गौ, गधे, बकरे और पक्षीयोंको खा रहे है॥
राक्षस लोगो का आचरण बहुत बुरा है। इसीलिए तुलसीदासजी कहते है कि मैंने इनकी कथा बहुत संक्षेपसे कही है। ये महादुष्ट है, परन्तु रामचन्द्रजीके बानरूप पवित्रतीर्थनदीके अन्दर अपना शरीर त्यागकर गति अर्थात मोक्षको प्राप्त होंगे॥

जय सियाराम जय जय सियाराम

दोहा (Doha – Sunderkand)

पुर रखवारे देखि बहु कपि मन कीन्ह बिचार।
अति लघु रूप धरों निसि नगर करौं पइसार ॥3॥

हनुमानजी ने बहुत से रखवालो को देखकर मन में विचार किया की मै छोटा रूप धारण करके नगर में प्रवेश करूँ ॥3॥

Immerse Yourself in Melodious Bhajans / Aartis

Discover videos, songs and lyrics that connect to you spiritually

हे हनुमान बहू बलवान भक्ति ज्ञान वराग्य की खान Lyrics icon

हे हनुमान बहू बलवान भक्ति ज्ञान वराग्य की खान

हे हनुमान बहू बलवान,भक्ति ज्ञान वराग्य की खान |संकट मोचन तू कहलाये |राम बिना तुझे कुछ ना भाये |तेरा द्वार जो भी खटकाये,ब

बजरंगबली मेरी नाव चली करुना कर पार लगा देना Lyrics icon

बजरंगबली मेरी नाव चली करुना कर पार लगा देना

बजरंगबली मेरी नाव चली, करुना कर पार लगा देना |हे महावीरा हर लो पीरा, सत्माराग मोहे दिखा देना ||दुखों के बादल गिर आयें, ल

मंगल मुरति राम दुलारे आन पड़ा अब तेरे द्वारे Lyrics icon

मंगल मुरति राम दुलारे आन पड़ा अब तेरे द्वारे

मंगल मुरति राम दुलारे, आन पड़ा अब तेरे द्वारे |हे बजरंगबली हनुमान , हे महावीर करो कल्याण ||तीनो लोक तेरा उज्यारा, दुखिओं

जय जय जय हनुमान गोसाईं कृपा करो महाराज Lyrics icon

जय जय जय हनुमान गोसाईं कृपा करो महाराज

दोहा: बेगी हरो हनुमान महाप्रभु, जो कछु संकट होए हमारो |कौन से संकट मोर गरीब को जो तुम से नहीं  जात है टारो ||जय जय जय हन

Hanuman Chalisa Lyrics icon

Hanuman Chalisa

॥ श्री हनुमान चालीसा Lyrics ॥॥ दोहा॥श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि ।बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ॥ब

मन की आखों से मै देखूँ रूप सदा सियाराम का Lyrics icon

मन की आखों से मै देखूँ रूप सदा सियाराम का

दोहा : किस काम के यह हीरे मोती, जिस मे ना दिखे मेरे राम |राम नहीं तो मेरे लिए है व्यर्थ स्वर्ग का धाम ||मन की आखों से मै

View All

Unveiling Connected Deities

Discover the Spiritual Tapestry of Related Deities

Narasimha

Narasimha

Narasimha | Avatar, Protector & Incarnation

Lakshmi

Lakshmi

Lakshmi | Goddess of Wealth, Fortune & Prosperity

Kurma

Kurma

Kurma | Avatar, Incarnation & Vedic

Chandi

Chandi

Chandi | Hinduism, Warrior, Devi

Kali

Kali

Kali | Hindu Goddess of Time, Change & Empowerment

Lokapāla

Lokapāla

Lokapala | Definition & Facts

View All

Discover Sacred Temples

Embark on a Spiritual Journey Through Related Temples

Saraswati Mandir

Saraswati Mandir

Bilaspur, Haryana

Kaisav Das Ji Maharaj Temple

Kaisav Das Ji Maharaj Temple

Jodhpur, Rajasthan

Hanuman Mandir

Hanuman Mandir

Jind, Haryana

GHATI BARE BABA TEMPLE

GHATI BARE BABA TEMPLE

Bharatpur, Rajasthan

Radha-Krishna Temple

Radha-Krishna Temple

Unjha, Gujarat

Radha Krishna Mandir

Radha Krishna Mandir

Jalandhar, Punjab

View All
Searches leading to this page
सुंदरकाण्ड पाठ bhajan | सुंदरकाण्ड पाठ bhajan in Hindi | सुंदरकाण्ड पाठ devotional song | सुंदरकाण्ड पाठ bhajan lyrics | सुंदरकाण्ड पाठ bhajan youtube | सुंदरकाण्ड पाठ bhajan online | सुंदरकाण्ड पाठ religious song | सुंदरकाण्ड पाठ bhajan for meditation
Other related searches
मंगल मुरति राम दुलारे आन पड़ा अब तेरे द्वारे bhajan lyrics | बजरंगबली मेरी नाव चली करुना कर पार लगा देना bhajan lyrics | हे हनुमान बहू बलवान भक्ति ज्ञान वराग्य की खान religious song | हे हनुमान बहू बलवान भक्ति ज्ञान वराग्य की खान bhajan in Hindi | हे हनुमान बहू बलवान भक्ति ज्ञान वराग्य की खान bhajan | बजरंगबली मेरी नाव चली करुना कर पार लगा देना bhajan online | बजरंगबली मेरी नाव चली करुना कर पार लगा देना bhajan in Hindi | बजरंगबली मेरी नाव चली करुना कर पार लगा देना bhajan for meditation | हे हनुमान बहू बलवान भक्ति ज्ञान वराग्य की खान devotional song | हे हनुमान बहू बलवान भक्ति ज्ञान वराग्य की खान bhajan youtube | मंगल मुरति राम दुलारे आन पड़ा अब तेरे द्वारे bhajan for meditation | मंगल मुरति राम दुलारे आन पड़ा अब तेरे द्वारे bhajan online | मंगल मुरति राम दुलारे आन पड़ा अब तेरे द्वारे bhajan youtube | हे हनुमान बहू बलवान भक्ति ज्ञान वराग्य की खान bhajan lyrics | बजरंगबली मेरी नाव चली करुना कर पार लगा देना bhajan | बजरंगबली मेरी नाव चली करुना कर पार लगा देना bhajan youtube | मंगल मुरति राम दुलारे आन पड़ा अब तेरे द्वारे bhajan in Hindi | मंगल मुरति राम दुलारे आन पड़ा अब तेरे द्वारे devotional song | बजरंगबली मेरी नाव चली करुना कर पार लगा देना religious song | हे हनुमान बहू बलवान भक्ति ज्ञान वराग्य की खान bhajan online | हे हनुमान बहू बलवान भक्ति ज्ञान वराग्य की खान bhajan for meditation | बजरंगबली मेरी नाव चली करुना कर पार लगा देना devotional song | मंगल मुरति राम दुलारे आन पड़ा अब तेरे द्वारे bhajan | मंगल मुरति राम दुलारे आन पड़ा अब तेरे द्वारे religious song
Similar Bhajans
हे हनुमान बहू बलवान भक्ति ज्ञान वराग्य की खानबजरंगबली मेरी नाव चली करुना कर पार लगा देनामंगल मुरति राम दुलारे आन पड़ा अब तेरे द्वारेजय जय जय हनुमान गोसाईं कृपा करो महाराजHanuman Chalisaमन की आखों से मै देखूँ रूप सदा सियाराम का