The official logo for the brand - Spiritual Hindu

Spiritual Hindu

DeitiesTemplesDaily PanchangAartiBhajansChalisaAbout UsContact Us

चालीसा: भगवान श्री शीतलनाथ जी | Bhagwan Shri Sheetalnath Ji | in Hindi

Video
Audio
Lyrics
Language:
EnglishHindi
Icon for share on facebookIcon for share on twitterIcon for share on pinterestIcon for share on whatsapp
Icon for copy
शीतल हैं शीतल वचन, चन्दन से अधिकाय।
कल्प वृक्ष सम प्रभु चरण, हैं सबको सुखकाय॥जय श्री शीतलनाथ गुणाकर, महिमा मंडित करुणासागर।
भाद्दिलपुर के दृढरथ राय, भूप प्रजावत्सल कहलाये॥

रमणी रत्न सुनन्दा रानी, गर्भ आये श्री जिनवर ज्ञानी।
द्वादशी माघ बदी को जन्मे, हर्ष लहर उठी त्रिभुवन में॥

उत्सव करते देव अनेक, मेरु पर करते अभिषेक।
नाम दिया शिशु जिन को शीतल, भीष्म ज्वाल अध् होती शीतल॥

एक लक्ष पुर्वायु प्रभु की, नब्बे धनुष अवगाहना वपु की।
वर्ण स्वर्ण सम उज्जवलपीत, दया धर्मं था उनका मीत॥

निरासक्त थे विषय भोगो में, रत रहते थे आत्म योग में।
एक दिन गए भ्रमण को वन में, करे प्रकृति दर्शन उपवन में॥

लगे ओसकण मोती जैसे, लुप्त हुए सब सूर्योदय से।
देख ह्रदय में हुआ वैराग्य, आत्म राग में छोड़ा राग॥

तप करने का निश्चय करते, ब्रह्मर्षि अनुमोदन करते।
विराजे शुक्र प्रभा शिविका में, गए सहेतुक वन में जिनवर॥

संध्या समय ली दीक्षा अश्रुण, चार ज्ञान धारी हुए तत्क्षण।
दो दिन का व्रत करके इष्ट, प्रथामाहार हुआ नगर अरिष्ट॥

दिया आहार पुनर्वसु नृप ने, पंचाश्चार्य किये देवों ने।
किया तीन वर्ष तप घोर, शीतलता फैली चहु और॥

कृष्ण चतुर्दशी पौषविख्यता, केवलज्ञानी हुए जगात्ग्यता।
रचना हुई तब समोशरण की, दिव्यदेशना खिरी प्रभु की॥

आतम हित का मार्ग बताया, शंकित चित्त समाधान कराया।
तीन प्रकार आत्मा जानो, बहिरातम अन्तरातम मानो॥

निश्चय करके निज आतम का, चिंतन कर लो परमातम का।
मोह महामद से मोहित जो, परमातम को नहीं माने वो॥

वे ही भव भव में भटकाते, वे ही बहिरातम कहलाते।
पर पदार्थ से ममता तज के, परमातम में श्रद्धा कर के॥

जो नित आतम ध्यान लगाते, वे अंतर आतम कहलाते।
गुण अनंत के धारी हे जो, कर्मो के परिहारी है जो॥

लोक शिखर के वासी है वे, परमातम अविनाशी है वे।
जिनवाणी पर श्रद्धा धर के, पार उतारते भविजन भव से॥

श्री जिन के इक्यासी गणधर, एक लक्ष थे पूज्य मुनिवर।
अंत समय में गए सम्म्मेदाचल, योग धार कर हो गए निश्चल॥

अश्विन शुक्ल अष्टमी आई, मुक्तिमहल पहुचे जिनराई।
लक्षण प्रभु का कल्पवृक्ष था, त्याग सकल सुख वरा मोक्ष था॥

शीतल चरण शरण में आओ, कूट विद्युतवर शीश झुकाओ।
शीतल जिन शीतल करें, सबके भव आतप।
अरुणा के मन में बसे, हरे सकल संताप॥

Unveiling Connected Deities

Discover the Spiritual Tapestry of Related Deities

Nataraja

Nataraja

Nataraja | Shiva, Cosmic Dance & Symbolism

Shashthi

Shashthi

Shashthi | Mother of Skanda, Protector of Children, Fertility Goddess

Yama

Yama

Yama | Ruler of Dead, Judge of Souls & Lord of Dharma

Vasudeva

Vasudeva

Vasudeva | Vishnu Avatar, Avatar of Love, Preserver

Vishvakarman

Vishvakarman

Vishvakarman | God of Creation, Craftsmen & Architects

Rama

Rama

Rama | Description, Symbolism, Meaning, & Facts

View All

Discover Sacred Temples

Embark on a Spiritual Journey Through Related Temples

Mandir Shree Raghunath Ji Maharaj Ka

Mandir Shree Raghunath Ji Maharaj Ka

Sawai Madhopur, Rajasthan

बाला जी मन्दिर मुण्डोति

बाला जी मन्दिर मुण्डोति

Mundoti, Rajasthan

Shri Shiv Shankar Temple

Shri Shiv Shankar Temple

Sauthara, Uttar Pradesh

BAPS Swaminarayan Temple

BAPS Swaminarayan Temple

Bhayapura, Gujarat

Sonariyavala Mahakali Mataji

Sonariyavala Mahakali Mataji

Ghogha, Gujarat

Shastri Nagar Hanuman Mandir Vedram Colony

Shastri Nagar Hanuman Mandir Vedram Colony

Faridabad, Haryana

View All
Searches leading to this page
चालीसा: भगवान श्री शीतलनाथ जी | चालीसा: भगवान श्री शीतलनाथ जी in Hindi | चालीसा: भगवान श्री शीतलनाथ जी devotional song | चालीसा: भगवान श्री शीतलनाथ जी lyrics | चालीसा: भगवान श्री शीतलनाथ जी youtube | चालीसा: भगवान श्री शीतलनाथ जी online | चालीसा: भगवान श्री शीतलनाथ जी religious song | चालीसा: भगवान श्री शीतलनाथ जी for meditation